Mandatory Excipients Disclosure: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं की लेबलिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब सभी दवा उत्पादों के लेबल पर सक्रिय घटकों के अलावा एक्ससिपिएंट्स (Inactive substances) की गुणात्मक जानकारी भी अनिवार्य रूप से दर्ज करनी होगी। यह संशोधित नियम 1 मार्च, 2026 से लागू होगा।
गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 के नियम 96 को संशोधित किया गया है। नए नियम के तहत, दवा की अंतिम कंटेनर पर सक्रिय घटकों के साथ-साथ इस्तेमाल किए गए एक्ससिपिएंट्स (Mandatory Excipients Disclosure) की गुणात्मक जानकारी और ड्रग की समाप्ति तिथि अंकित करना अनिवार्य होगा।
नियम 96 में बदलाव का महत्व
नियम 96, भारत में बेची जाने वाली सभी दवाओं के लेबलिंग मानकों को नियंत्रित करता है। इसमें पहले ही सक्रिय घटकों का नाम और मात्रा, निर्माण और समाप्ति तिथि, भंडारण की शर्तें, बैच नंबर और उपयोग के निर्देश शामिल थे। अब संशोधन के बाद एक्ससिपिएंट्स (Mandatory Excipients Disclosure) की जानकारी भी शामिल करना होगा, जिससे डॉक्टर और रोगी दोनों के लिए दवाओं की जानकारी अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होगी।
यह भी पढ़ें: Fake Medicine: आगरा में नकली दवा सिंडिकेट का भंडाफोड़, करोड़ों की दवाइयां जब्त
DTAB की सिफारिशों के बाद बदलाव
इस बदलाव के पीछे ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की सिफारिशें हैं। बोर्ड ने पहले ही लेबल पर एक्ससिपिएंट्स की जानकारी देने की आवश्यकता पर जोर दिया था, ताकि रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और चिकित्सकों को सही निर्णय लेने में मदद मिले।
मंत्रालय ने बताया उद्देश्य
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह बदलाव उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य पेशेवरों दोनों के लिए सुरक्षा और अनुपालन मानकों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि नियम लागू करने से पहले व्यापक परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई थी।
Discussion about this post