फार्मास्युटिकल सेक्टर में एक बड़ी और उच्च-प्रभाव वाली कार्रवाई के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) जालंधर ने 17 जून को छह राज्यों में फैले 16 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम जैसी साइकोट्रॉपिक दवाओं की अवैध तस्करी और काले बाजार में बिक्री को लेकर चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है।
ईडी की यह सघन कार्रवाई पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में स्थित फार्मा कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के कार्यालयों व आवासीय परिसरों पर की गई। इन कंपनियों में बायोजेनेटिक ड्रग्स प्राइवेट लिमिटेड, सीबी हेल्थकेयर, स्माइलेक्स फार्माकेम ड्रग इंडस्ट्रीज, एस्टर फार्मा, सोल हेल्थ केयर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, एलेक्स पालीवाल और अन्य संस्थाएं शामिल हैं।
ईडी ने बताया कि यह मामला पंजाब पुलिस द्वारा एनडीपीएस (NDPS) एक्ट, 1985 के तहत दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू किया गया था। छापेमारी के दौरान एजेंसी ने मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसी डिजिटल डिवाइसेज़ के साथ कई आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकॉर्ड जब्त किए, जो कथित अवैध ड्रग सप्लाई नेटवर्क की वित्तीय कड़ियों को जोड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं।
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काले बाजार में दवाओं की तस्करी
प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि बिचौलिये फार्मा कंपनियों से बड़ी मात्रा में साइकोट्रॉपिक दवाएं खरीद रहे थे और उन्हें नशीले पदार्थों के तस्करों के जरिए काले बाजार में अधिक दामों पर बेच रहे थे। इन दवाओं में ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम जैसे प्रतिबंधित और नियंत्रित पदार्थ शामिल हैं, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के शेड्यूल H और H1 के तहत आते हैं और एनडीपीएस एक्ट द्वारा भी विनियमित हैं।
ईडी के अनुसार, “बिचौलिये फार्मा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से बड़ी मात्रा में साइकोट्रॉपिक टैबलेट्स खरीद कर उन्हें खुदरा मूल्य से कहीं अधिक दरों पर ब्लैक मार्केट में बेच रहे थे, जिससे भारी मात्रा में अवैध कमाई (Proceeds of Crime) हो रही थी।”
फार्मा सेक्टर पर गहराया संदेह
लाइसेंस प्राप्त फार्मा कंपनियों की इस अवैध तस्करी में संलिप्तता ने पूरे उद्योग को शक के घेरे में ला दिया है। यह मामला ड्रग नियामक निकायों के लिए एक चेतावनी है कि शेड्यूल H और शेड्यूल X दवाओं की निगरानी और नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक सख्त बनाने की जरूरत है। इस प्रकार की दवाएं आमतौर पर डॉक्टर की पर्ची पर ही दी जाती हैं और इनका दुरुपयोग गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा कर सकता है।
ईडी ने स्पष्ट किया है कि जांच अब भी जारी है और जब्त किए गए डिजिटल डाटा और दस्तावेजों की गहन फॉरेंसिक जांच से और भी महत्वपूर्ण सबूत सामने आने की उम्मीद है।
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