AIIMS News: नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली को डॉक्टरों द्वारा खरीद नियमों के उल्लंघन और मरीजों को निजी विक्रेता से ब्रेन इंप्लांट खरीदने के लिए कहने की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया है। आयोग ने AIIMS से 15 दिन के भीतर इस मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट (Action Taken Report) मांगी है।
यह संज्ञान सह्याद्री राइट्स फोरम नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा की गई शिकायत पर लिया गया है। फोरम का आरोप है कि एम्स के न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने मेडिकल खरीद के निर्धारित सरकारी नियमों का उल्लंघन किया और मरीजों को निजी विक्रेता से सीधे उपकरण खरीदने को कहा, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ा।
शिकायत में दावा किया गया है कि डॉक्टरों ने मरीजों या उनके परिजनों को एक निजी विक्रेता का फोन नंबर देकर ‘फ्लो डायवर्टर’ नामक डिवाइस सीधे खरीदने को कहा। यह डिवाइस ब्रेन में ब्लड वेसेल डिसऑर्डर के इलाज में उपयोग होता है।
उपकरण के दामों में भारी अंतर
The Telegraph की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 से 2025 के बीच AIIMS दिल्ली में मरीजों से इस फ्लो डायवर्टर के लिए 5,95,550 रुपये + टैक्स वसूले गए। जबकि यही उपकरण 2023 में केंद्र सरकार के श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम द्वारा सिर्फ 4,75,000 रुपये + टैक्स में खरीदा गया था। दोनों ही उपकरणों की अधिकतम खुदरा कीमत (MRP) 11.90 लाख रुपये थी।
इस भारी मूल्य अंतर पर AIIMS के एक फैकल्टी सदस्य ने कहा कि यह ‘फॉल क्लॉज’ का उल्लंघन है, जिसके तहत विभिन्न सरकारी संस्थानों में उपकरणों के दाम समान होने चाहिए।
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AIIMS: पहले भी उठ चुकी थी चिंता
रिपोर्ट के अनुसार, AIIMS के कुछ फैकल्टी सदस्य पहले भी इस बात को लेकर चिंतित थे कि मरीजों को निजी विक्रेताओं के पास भेजा जा रहा है। इनमें से एक सदस्य ने 2024 की शुरुआत में ही प्रशासन को इस बारे में सतर्क कर दिया था।
केंद्रीकृत खरीद प्रणाली की शुरुआत
मेडिकल डायलॉग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पारदर्शिता बढ़ाने और खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनाने के उद्देश्य से AIIMS ने 2023 में केंद्रीकृत खरीद प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया था। इससे पहले संस्थान में विकेंद्रीकृत प्रणाली थी, जिसमें हर विभाग अपनी जरूरत अनुसार खरीद करता था।
मानवाधिकार उल्लंघन का मामला: NHRC
शिकायत का संज्ञान लेते हुए NHRC ने AIIMS के निदेशक और मेडिकल सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखकर कहा है कि “शिकायत में किए गए आरोप प्रथम दृष्टया पीड़ितों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन प्रतीत होते हैं।” आयोग ने संस्थान से 15 दिन के भीतर पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
मांग की गई कार्रवाई व मुआवजा
शिकायतकर्ता ने NHRC से अपील की है कि इस मामले में गंभीर जांच कराई जाए, पीड़ित मरीजों को उचित मुआवजा दिया जाए और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
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