Ebola New Cure: वैज्ञानिकों ने एक गोली खोजी है जो इबोला के खिलाफ ‘100 प्रतिशत सुरक्षा’ प्रदान करती है – जिससे इस घातक बीमारी को मिटाने की उम्मीदें जगी हैं।
इबोला एक दुर्लभ लेकिन घातक बीमारी है, जिसकी मृत्यु दर 90% तक हो सकती है। यह पहली बार 1979 में पहचानी गई थी, और 1994 से इसके प्रकोप लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में युगांडा में इबोला का प्रकोप घोषित किया गया है।
पिछले प्रकोप और प्रभाव
- 2013-2016 पश्चिम अफ्रीकी महामारी: 28,600 लोग संक्रमित, 11,325 मौतें।
- 2018-2020 युगांडा और DRC प्रकोप: 2,299 मौतें।
टीके और उपचार के प्रयास
वैज्ञानिकों ने लंबे समय से ऐसे टीके और उपचार विकसित करने की कोशिश की है जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAb) का उपयोग कर इबोला का मुकाबला कर सकें।
- 2019 में एक टीका मंजूर किया गया।
- दो mAb-आधारित उपचार प्रभावी साबित हुए, लेकिन इन्हें ठंडे तापमान पर रखना आवश्यक है, जिससे गरीब क्षेत्रों में वितरण मुश्किल हो जाता है।
यह भी पढ़ें: Opioid Use Disorder का आ गया नया समाधान! रिसर्च से जगी उम्मीद की किरण
नई गोली: इबोला के खिलाफ सफलता
ओबेल्डेसिविर: नई एंटीवायरल दवा
टेक्सास मेडिकल ब्रांच विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ओबेल्डेसिविर नामक दवा का परीक्षण किया।
- यह पॉलीमरेज़ इनहिबिटर है, जो वायरस की प्रतिकृति बनने से रोकता है।
- मकाक बंदरों पर परीक्षण किया गया, जिसमें इसे इबोला वायरस की उच्च खुराक दी गई।
परीक्षण के नतीजे
- रिसस मकाक बंदरों पर 100% सुरक्षा, जो जैविक रूप से मनुष्यों के अधिक निकट होते हैं।
- साइनोमोल्गस मकाक पर 80% सफलता।
- दवा ने न केवल वायरस को खत्म किया, बल्कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भी बढ़ाया।
इबोला के लक्षण
शुरुआती लक्षण:
- तेज बुखार
- सिरदर्द
- गले में खराश
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
गंभीर लक्षण:
- उल्टी और दस्त
- आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव
- गुर्दे और जिगर की विफलता
लंबे समय तक प्रभाव:
- थकान
- सिरदर्द
- दृष्टि समस्याएं
- अवसाद और चिंता
इबोला संक्रमण के कारण
इबोला वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से फैलता है।
- संक्रमित जानवरों को छूने, पकाने या खाने से।
- संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ (लार, रक्त, मूत्र) को छूने से।
- संक्रमित वस्तुओं (कपड़े, चादरें) के संपर्क में आने से।
ओबेल्डेसिविर: संभावित भविष्य
ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सुरक्षा
- यह दवा इबोला की सभी चार प्रजातियों पर असरदार हो सकती है।
- वर्तमान एंटीबॉडी उपचार केवल ज़ैरे प्रजाति पर काम करते हैं।
मानव परीक्षण की जरूरत
- शोधकर्ताओं ने कहा कि दवा को मनुष्यों पर और अधिक परीक्षण की आवश्यकता है।
- यह प्रकोप के दौरान तेजी से वितरित की जा सकने वाली मौखिक दवा हो सकती है।
फार्मास्युटिकल कंपनी गिलियड का परीक्षण
- गिलियड वर्तमान में मारबर्ग वायरस के लिए ओबेल्डेसिविर का चरण 2 नैदानिक परीक्षण कर रही है।
- यदि सफल रहा, तो यह इबोला के खिलाफ एक क्रांतिकारी उपचार साबित हो सकता है।
➡ यह खोज इबोला को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
Discussion about this post