Strokes in Brainiacs: नई स्टडी में दावा किया गया है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों को स्ट्रोक के बाद मानसिक रूप से अधिक नुकसान हो सकता है, जबकि कम पढ़े-लिखे लोगों को अपेक्षाकृत कम असर पड़ता है।
यूनीवर्सिटी ऑफ मिशिगन (UM) मेडिकल स्कूल की न्यूरोलॉजी प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखिका, डॉ. मेलानी वी. स्प्रिंगर ने कहा कि यह पहचानना जरूरी है कि किन स्ट्रोक मरीजों में संज्ञानात्मक गिरावट (कॉग्निटिव डिक्लाइन) का सबसे अधिक खतरा है, ताकि भविष्य में इसे रोकने के लिए सही कदम उठाए जा सकें।
स्ट्रोक क्या होता है?
जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है या किसी रक्तवाहिका के फटने से मस्तिष्क में रक्त रिसने लगता है, तो स्ट्रोक (Stroke) होता है।
अमेरिका में स्ट्रोक के मुख्य जोखिम कारक
- उच्च रक्तचाप
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान
- मोटापा
- डायबिटीज
CDC के अनुसार, उम्र, लिंग, जातीयता और आनुवंशिकी (genetics) भी स्ट्रोक के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं।
अमेरिका में स्ट्रोक के आंकड़े
- हर साल 7,95,000 से अधिक अमेरिकी स्ट्रोक का शिकार होते हैं (हर 40 सेकंड में एक मामला)।
- सालाना 1,40,000 मौतें होती हैं, जो अमेरिका में कुल मौतों का 5% है।
- यह विकलांगता (disability) का प्रमुख कारण भी है।
क्या शिक्षा मस्तिष्क को बेहतर बनाए रखती है?
विशेषज्ञ लंबे समय से इस पर बहस कर रहे हैं कि क्या अधिक शिक्षा मस्तिष्क को उम्र, चोट या बीमारी के प्रभावों से बचा सकती है। 2022 में अमेरिका में 25 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 10.4 करोड़ लोगों के पास बैचलर डिग्री या उससे अधिक थी, जो कि कुल जनसंख्या का 37.7% है।
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स्टडी में क्या पाया गया?
डॉ. स्प्रिंगर और उनकी टीम ने 1971 से 2019 के बीच 2,000 से अधिक स्ट्रोक मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य का विश्लेषण किया और पाया कि जिन मरीजों के पास कॉलेज डिग्री थी, उन्होंने स्ट्रोक के बाद स्मृति, ध्यान और प्रोसेसिंग स्पीड से जुड़े टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में वर्किंग मेमोरी और समस्या हल करने की क्षमता (executive functioning) तेजी से गिरने लगी। वहीं, जिन लोगों की शिक्षा कम थी (हाई स्कूल से कम), उनमें यह गिरावट धीरे-धीरे हुई।
डॉ. स्प्रिंगर ने कहा कि शिक्षा के स्तर के बावजूद, समय के साथ मस्तिष्क में सिकुड़न (brain atrophy) होती है। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग मस्तिष्क की क्षमताओं को अधिक समय तक बनाए रख सकते हैं, लेकिन एक बार जब स्ट्रोक के कारण क्षति एक निश्चित स्तर तक पहुंच जाती है, तो तेजी से संज्ञानात्मक गिरावट शुरू हो जाती है।
क्या स्ट्रोक के बाद डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है?
60% स्ट्रोक सर्वाइवर्स में एक साल के भीतर स्मृति और सोचने की समस्याएं होती हैं। 5 साल में हर तीसरा मरीज डिमेंशिया (Dementia) का शिकार हो जाता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की न्यूरोलॉजी प्रोफेसर, डॉ. नाडा एल हुसैनी के अनुसार, संज्ञानात्मक गिरावट (cognitive decline) जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है – नौकरी, गाड़ी चलाना, स्वतंत्र रूप से रहना, सोचने, योजना बनाने और संवाद करने की क्षमता तक।
क्या जीन का कोई प्रभाव पड़ता है?
शोधकर्ताओं ने ApoE4 जीन (जो अल्जाइमर रोग से जुड़ा है) का भी अध्ययन किया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ApoE4 जीन का शिक्षा और स्ट्रोक के बाद की मानसिक गिरावट से कोई संबंध नहीं पाया गया। एक से अधिक स्ट्रोक झेलने वाले मरीजों में भी यही परिणाम दिखे।
भविष्य की दिशा
UM मेडिकल स्कूल की प्रोफेसर डॉ. डेबोरा ए. लेविन, जो इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका के अनुसार, फिलहाल हमारे पास ऐसा कोई इलाज नहीं है जो स्ट्रोक के बाद संज्ञानात्मक गिरावट या डिमेंशिया को रोक सके। यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि किन मरीजों को इसका अधिक खतरा है और इसके संभावित कारण क्या हो सकते हैं।
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