Pharma Freebies Case: फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को महंगे तोहफे और विदेश यात्रा के जरिए लुभाने के मामलों में पारदर्शिता को लेकर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
फार्मा मार्केटिंग प्रथाओं के लिए गठित एपीेक्स कमेटी (ACPMP) ने दवा कंपनी AbbVie Healthcare Pvt. Ltd. को यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस (UCPMP) के उल्लंघन के लिए फटकार लगाई थी।
कंपनी ने 30 डॉक्टरों को मोनाको और पेरिस जैसे विदेशी शहरों की यात्राएं (Pharma Freebies Case) कराईं थीं, जिन पर कुल खर्च 1.91 करोड़ रुपये आया था। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी संबंधित डॉक्टरों के नाम ना तो सार्वजनिक किए गए हैं और ना ही नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को भेजे गए हैं।
RTI के तहत जानकारी मांगी, जवाब मिला- “जनहित में नहीं”
केरल के स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. केवी बाबू ने 28 दिसंबर 2024 को एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने 30 डॉक्टरों के नाम मांगे थे। यह वे डॉक्टर थे, जिनके नाम एपीेक्स कमेटी ने 23 दिसंबर 2024 के आदेश के तहत NMC को कार्रवाई हेतु भेजे जाने थे।
हालांकि, पांच महीने बाद औषधि विभाग (DoP) ने जवाब देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी में व्यक्तियों के नाम और निजी जानकारी शामिल है, और यह जनहित में नहीं आती। अतः RTI एक्ट की धारा 8(1)(j) के तहत जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती।
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एनएमसी ने कहा– अब तक नहीं मिली कोई सूची
डॉ. बाबू ने 1 मई 2025 को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के एथिक्स और मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (EMRB) से भी RTI के जरिए जानकारी मांगी। 8 मई को NMC ने जवाब दिया कि उन्हें अब तक इन डॉक्टरों की कोई सूची प्राप्त नहीं हुई है।
डॉ. बाबू का सवाल- सरकार डॉक्टरों के नाम छिपा क्यों रही है?
Medical Dialogues की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. बाबू ने कहा कि 23 दिसंबर 2024 को जब एपीेक्स कमेटी ने फैसला (Pharma Freebies Case) लिया था, तो 8 मई 2025 तक भी NMC को नाम नहीं भेजे गए। और अब DoP इन नामों को सार्वजनिक करने से इनकार कर रहा है। सिर्फ फार्मा कंपनी को डांटकर छोड़ दिया गया है, यह कहां की कार्रवाई है?
Pharma Freebies Case: क्या था पूरा मामला?
मामला (Pharma Freebies Case) फरवरी और मार्च 2024 का है, जब फार्मा कंपनी AbbVie ने Aesthetics 86 Anti-Aging Medicine World Congress 2024 के नाम पर 30 डॉक्टरों को मोनाको और पेरिस भेजा। ये सभी डॉक्टर बोटॉक्स और जुवेडर्म जैसे एंटी-एजिंग उत्पादों से जुड़े थे। इन यात्राओं में उड़ान टिकट, लग्जरी होटल में ठहराव और अन्य खर्च शामिल थे।
आयकर विभाग और NMC को कार्रवाई का सुझाव
जांच में आरोप सही पाए जाने पर एपीेक्स कमेटी ने AbbVie को फटकार कड़ी लगाई है। साथ ही आयकर विभाग (CBDT) को कंपनी और डॉक्टरों की टैक्स देनदारी की जांच करने को कहा है। इसके अलावा NMC से डॉक्टरों पर भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यवसाय आचरण, शिष्टाचार एवं नैतिकता) विनियम, 2002 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की।
इन विनियमों के अनुसार, किसी डॉक्टर को देश या विदेश में फार्मा कंपनियों से रेल, हवाई यात्रा, होटल या क्रूज़ जैसी यात्रा सुविधा या छुट्टियों का लाभ लेना प्रतिबंधित है, चाहे वह खुद के लिए हो या परिवार के लिए।
Pharma Freebies Case: अब तक डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं
हालांकि, अब तक ना तो डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक हुए हैं, ना ही NMC के पास कोई सूची पहुंची है। इससे सवाल उठते हैं कि क्या सरकार खुद डॉक्टरों को बचा रही है? यदि फार्मा कंपनियों को सजा मिल सकती है, तो अनैतिक लाभ लेने वाले डॉक्टरों को क्यों छोड़ा जा रहा है?
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