Haryana News: हरियाणा सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। पंडित बीडी शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS) रोहतक और महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, अग्रोहा ने सातों दिन ड्यूटी करने वाले पीजी छात्रों (MD/MS) को सालाना 10 दिन की अतिरिक्त छुट्टी देने का फैसला लिया है। यह छुट्टी उन डॉक्टरों को दी जाएगी जो रविवार या छुट्टियों पर भी लगातार ड्यूटी करते हैं।
पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक ने 25 जून 2025 को आदेश जारी करते हुए कहा कि संबंधित विभागाध्यक्षों/यूनिट प्रमुखों को यह अधिकार दिया गया है कि वे विभाग की कार्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पीजी छात्रों को एक स्लॉट में 10 दिनों की छुट्टी स्वीकृत करें।
इसी तरह का आदेश 8 जुलाई 2025 को महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज अग्रोहा द्वारा भी जारी किया गया, जिसमें पीजीआईएमएस रोहतक के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि “सभी विभागों (प्री-क्लिनिकल, पैरा-क्लिनिकल और क्लिनिकल) के एमडी/एमएस छात्रों को प्रतिवर्ष 10 दिनों की छुट्टी दी जाएगी।”
जनरल सर्जरी विभाग ने जारी की फैमिली वैकेशन शेड्यूल
अग्रसेन मेडिकल कॉलेज के जनरल सर्जरी विभाग ने पहले ही पीजी बैच 2023 और 2024 के लिए 5 दिनों की पारिवारिक छुट्टी की अनुसूची जारी कर दी है। मेडिकल डायलॉग्स के पास इस शेड्यूल की प्रति उपलब्ध है।
यूडीएफ की मुहिम लाई रंग
यह आदेश तब आया जब यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) की हरियाणा इकाई ने लगातार रेजिडेंट डॉक्टरों की समस्याओं को सरकार और संस्थानों के समक्ष उठाया। डॉ. अमित व्यास के नेतृत्व में यूडीएफ ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता और हिसार की विधायक सावित्री देवी जिंदल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था।
इसके बाद प्रशासन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अब यह छुट्टी नीति राज्य के मेडिकल कॉलेजों में लागू हो रही है।
52 वीकली ऑफ और 20 कैजुअल लीव का भी आदेश
यूडीएफ ने 9 जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि पंडित बी.डी. शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, रोहतक द्वारा 5 फरवरी को जारी आदेश के अनुसार, अब रेजिडेंट डॉक्टरों को 52 साप्ताहिक अवकाश और 20 कैजुअल छुट्टियाँ सालाना मिलेंगी।
हालांकि डॉक्टरों को वर्ष में 10 रविवारों पर कार्य करना होगा, जिसके बदले उन्हें अन्य दिनों में छुट्टी दी जाएगी। इस निर्णय का उद्देश्य डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और पारिवारिक जीवन से जुड़ाव को बढ़ावा देना है।
डॉ. अमित व्यास ने कहा कि यह पहली बार है जब प्रशासन ने हमारे व्यक्तिगत समय को महत्व दिया है। यह केवल छुट्टी नहीं बल्कि हमारी मानवता की स्वीकृति है। उन्होंने कहा कि भारत के कई मेडिकल कॉलेजों में अभी भी निर्धारित अवकाश नीति लागू नहीं है जिससे डॉक्टरों को मानसिक तनाव, बर्नआउट और अवसाद जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। यूडीएफ अब ऐसे राज्यों में आरटीआई अभियान चलाने की योजना बना रही है जहाँ रेजिडेंट डॉक्टरों को यह हक नहीं मिल रहा।
पूरे देश में लागू हो आदेश: यूडीएफ की मांग
यूडीएफ ने मांग की है कि हरियाणा की इस मॉडल नीति को पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में लागू किया जाए और डॉक्टरों की ड्यूटी का समय 8 घंटे प्रतिदिन निर्धारित किया जाए।
यूडीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने कहा कि डॉक्टर इंसानियत की सेवा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। अगर उन्हें खुद मानवीय व्यवहार नहीं मिलेगा, तो यह पूरे समाज के लिए नुकसानदेह होगा।
सेंट्रल रेजिडेंसी स्कीम 1992 बनी थी लेकिन…
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 1992 में सेंट्रल रेजिडेंसी स्कीम बनाई थी, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टरों के ड्यूटी आवर्स तय किए गए थे। जैसे अधिकतम 12 घंटे की ड्यूटी, साप्ताहिक एक अवकाश और अधिकतम 48 घंटे प्रति सप्ताह। लेकिन यह योजना अब तक केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है।
एनएमसी की नई रेगुलेशन और हालात
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) द्वारा वर्ष 2023 में जारी PGMER नियमों में रेजिडेंट डॉक्टरों के कामकाजी घंटे “उचित” कहे गए लेकिन कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की गई। इससे स्थिति अस्पष्ट बनी रही और डॉक्टरों की शारीरिक और मानसिक स्थिति प्रभावित होती रही।
यूडीएफ ने एम्स भुवनेश्वर, बीबीनगर और एएफएमसी पुणे जैसे संस्थानों में ड्यूटी नियमों के उल्लंघन की शिकायत NMC और DGHS से की थी। साथ ही सोशल जस्टिस मंत्रालय से भी हस्तक्षेप की मांग की थी।
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