MBBS-BAMS: केंद्र सरकार द्वारा पुडुचेरी स्थित जिपमर (JIPMER) में देश का पहला MBBS-BAMS इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू करने की योजना पर डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा है।
यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) समेत कई डॉक्टर संगठनों ने इस फैसले को “वैज्ञानिक रूप से गलत”, “शैक्षणिक रूप से अव्यवहारिक” और “स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खतरनाक” बताया है।
UDF ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने की मांग की है। संगठन का कहना है कि एलोपैथी (MBBS) और आयुर्वेद (BAMS) दो बिल्कुल अलग सिद्धांतों पर आधारित चिकित्सा पद्धतियां हैं और दोनों को एक ही पाठ्यक्रम में मिलाना छात्रों को भ्रमित करेगा और उनकी कोर मेडिकल स्किल्स पर बुरा असर डालेगा।
MBBS-BAMS: “छात्रों पर होगा भारी बोझ”
UDF के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने कहा कि MBBS पाठ्यक्रम पहले से ही देश के सबसे कठिन प्रोफेशनल कोर्स में से एक है। ऐसे में इसमें एक पूरी तरह अलग चिकित्सा प्रणाली (MBBS-BAMS) को जोड़ देना छात्रों पर अत्यधिक बोझ डालेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे “अर्ध-प्रशिक्षित डॉक्टर” पैदा होंगे जो किसी भी चिकित्सा प्रणाली में दक्ष नहीं होंगे, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं और मरीजों की सुरक्षा दोनों जोखिम में पड़ सकती हैं।
“भारत को वैज्ञानिक पद्धति पर चलना चाहिए”
डॉ. मित्तल ने कहा कि भारत ने एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन के क्षेत्र में बड़ी तरक्की की है। ऐसे में बिना वैज्ञानिक पुष्टि के एक हाइब्रिड मॉडल को बढ़ावा देना इस प्रगति को पीछे धकेल सकता है। “इस तरह के कोर्स भारत की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
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IMA और FAIMA ने भी किया विरोध
इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और FAIMA डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया था। IMA ने अपने प्रेस बयान में कहा था कि दो “असंगत चिकित्सा पद्धतियों का मिश्रण” एक “अपरिवर्तनीय तबाही” की तरह होगा।
IMA ने यह भी कहा कि आज भारत की औसत आयु 70.8 वर्ष तक पहुंच गई है, जो 1947 में 32 वर्ष थी। यह टीकाकरण, एंटीबायोटिक्स, और आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के चलते संभव हुआ है, न कि किसी मिश्रित चिकित्सा प्रणाली के कारण।
“चीन हमारा आदर्श नहीं”
IMA ने साफ कहा कि “चीन भारत का स्वास्थ्य मॉडल नहीं हो सकता।” भारत के पास 779 मेडिकल कॉलेज और हर साल 1.36 लाख से अधिक MBBS डॉक्टर तैयार करने की क्षमता है। “हमारे पास वो बुनियादी ढांचा और विशेषज्ञता है जिससे हम दुनिया के किसी भी हिस्से की तुलना में कम लागत पर उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवा प्रदान कर सकते हैं।”
“फ्लॉप आइडिया है कोर्स”: डॉ. रोहन कृष्णन
FAIMA के चीफ पैट्रन और स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. रोहन कृष्णन ने इस कोर्स को “फ्लॉप आइडिया” बताया है। उन्होंने कहा, “MBBS-BAMS का कोई एकीकृत कोर्स आवश्यक नहीं है। यह मिक्सोपैथी को बढ़ावा देगा और मरीजों के प्रति डॉक्टरों के दृष्टिकोण को भ्रमित करेगा।”
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