Bond Service: दिल्ली सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एमबीबीएस (MBBS) और पीजी (MD/MS) मेडिकल छात्रों पर एक वर्ष का अनिवार्य सेवा बॉन्ड लागू कर दिया है।
इसके तहत (Bond Service) छात्रों को कोर्स पूरा करने के बाद दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले मेडिकल संस्थानों में एक वर्ष तक सेवा देनी होगी। यदि कोई छात्र सेवा नहीं करना चाहता है, तो उसे अंडरग्रेजुएट स्तर पर ₹15 लाख और पोस्टग्रेजुएट स्तर पर ₹20 लाख का जुर्माना भरना पड़ेगा। इस निर्णय के खिलाफ दिल्ली के डॉक्टरों ने कड़ा विरोध जताया है और सरकार से इस नीति को वापस लेने या इसे नियमित करने की मांग की है।
डॉक्टरों ने Bond Service को बताया “अनुचित”
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के चीफ पैट्रन डॉ. रोहन कृष्णन ने इसे “हास्यास्पद” और “हिलेरियस” करार दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, जहां पहले से ही डॉक्टर काम करने के लिए इच्छुक हैं। ऐसे में सेवा के लिए मजबूर करना अर्थहीन है।
यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) का विरोध
यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने इसे “हालिया समय का सबसे खराब निर्णय” बताया। उन्होंने कहा, “जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने स्पष्ट रूप से बॉन्ड नीति समाप्त करने की सिफारिश की है, तब दिल्ली सरकार का नया नियम अत्यंत निराशाजनक है।”
FORDA ने उठाई ‘वन नेशन, वन बॉन्ड’ की मांग
फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के सचिव डॉ. मीत घोनिया ने कहा कि FORDA हमेशा से पूरे देश में बॉन्ड पॉलिसी को समाप्त करने या “वन नेशन, वन बॉन्ड” नीति की मांग करता रहा है।
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आईएमए-जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क (IMA-JDN) का विरोध
आईएमए-जेडीएन (IMA-JDN) के राष्ट्रीय सचिव डॉ. इंद्रनील देशमुख ने कहा, “मेडिकल शिक्षा में सालों की मेहनत और निवेश के बाद जब डॉक्टरों को जबरदस्ती सेवा के लिए बाध्य किया जाता है, तो यह अन्यायपूर्ण और शोषण का एक रूप बन जाता है।”
NMC ने बॉन्ड नीति खत्म करने की सिफारिश की थी
गौरतलब है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की ‘नेशनल टास्क फोर्स ऑन मेंटल हेल्थ एंड वेलबीइंग ऑफ मेडिकल स्टूडेंट्स’ ने भी अपनी रिपोर्ट में सेवा बॉन्ड को समाप्त करने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट के अनुसार, अनिवार्य सेवा के बजाय छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं दी जानी चाहिए, जैसे उच्च वेतन, पीजी में आरक्षण, या अतिरिक्त अंक देना।
राज्य सरकारें लेती हैं अंतिम निर्णय
हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि बॉन्ड नीति (Bond Service) राज्य सरकारों का विषय है और NMC केवल सिफारिश कर सकता है, उसे लागू नहीं कर सकता।
देश के अन्य राज्यों में भी लागू है बॉन्ड नीति
वर्तमान में महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत कई राज्यों में सेवा बॉन्ड लागू है। अलग-अलग राज्यों में जुर्माना राशि ₹10 लाख से लेकर ₹50 लाख तक है, और सेवा अवधि 1 से 5 साल के बीच है।
डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर
डॉक्टरों का मानना है कि बॉन्ड नीति से उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और यह उनकी पेशेवर संभावनाओं को बाधित करता है।
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