Medical Board Out Cadets: सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे और प्रशिक्षण के दौरान घायल होने के कारण बाहर हो चुके कैडेटों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसे कैडेटों को पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) के तहत मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि सरकार ने 29 अगस्त को यह फैसला लिया है। इस योजना के तहत पहले अनिवार्य ₹1.2 लाख की एकमुश्त सदस्यता शुल्क देना पड़ता था, जिसे अब माफ कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की सराहना और सुझाव
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना की। अदालत ने साथ ही सुझाव दिया कि सरकार को ऐसे कैडेटों (Medical Board Out Cadets) के पुनर्वास के लिए वैकल्पिक रोजगार योजना भी तैयार करनी चाहिए।
कैडेटों को न छोड़ा जाए बेसहारा
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को टिप्पणी की थी कि प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद प्रशिक्षण में शामिल हुए कैडेटों (Medical Board Out Cadets) को बेसहारा छोड़ना सेना में भर्ती होने वाले युवाओं के मनोबल को तोड़ सकता है। अदालत ने कहा था कि सरकार और रक्षा बलों को चाहिए कि वे उनका सहयोग करें और उनके चिकित्सा खर्च का भार उठाएं।
यह भी पढ़ें: NIRF रैंकिंग 2025: एम्स दिल्ली फिर से नंबर-1, लगातार आठवीं बार हासिल की शीर्ष स्थान
डेस्क जॉब और पुनर्वास की संभावना
पीठ ने कहा कि ये कैडेट (Medical Board Out Cadets) शिक्षित हैं, प्रवेश परीक्षा पास कर चुके हैं और उनमें कार्य करने की क्षमता है। यदि फील्ड में काम संभव नहीं है तो उन्हें किसी न किसी तरह की डेस्क जॉब या प्रशासनिक कार्य दिया जा सकता है।
बीमा कवर को लेकर चिंता
अदालत ने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के दौरान मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में कैडेटों (Medical Board Out Cadets) को मिलने वाली बीमा राशि पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस बीमा कवर को “गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से” बढ़ाया जाए।
Discussion about this post