D.Pharm: पटना हाईकोर्ट ने बिहार फार्मासिस्ट कैडर नियमावली, 2014 के नियम 6(1) की संवैधानिक और विधिक वैधता को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया है कि बिहार स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट पद पर नियुक्ति के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी (D.Pharm) एक वैध न्यूनतम योग्यता है। इस निर्णय से B.Pharm और M.Pharm डिग्री धारकों को बिना D.Pharm के सरकारी नौकरी की पात्रता नहीं मिलेगी।
मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस मामले में दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा दायर याचिका भी शामिल थी। कोर्ट ने यह फैसला CWJC No. 313/2025 और अन्य संबद्ध मामलों में सुनाया।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह मुकदमा बिहार तकनीकी सेवा आयोग (BTSC) द्वारा 10 मार्च, 2025 को निकाले गए विज्ञापन संख्या 22/2025 को लेकर उठा था। इस विज्ञापन में केवल डिप्लोमा इन फार्मेसी धारकों को ही फार्मासिस्ट पद के लिए पात्र बताया गया था। B.Pharm और M.Pharm धारक केवल तभी आवेदन कर सकते थे जब उनके पास D.Pharm भी हो।
यह भी पढ़ें: Breast Cancer Medicine: ब्रिटेन में ब्रेस्ट कैंसर की नई दवा को मंजूरी, हर साल 1,000 से ज्यादा महिलाओं को मिलेगा फायदा
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह नियम PCI द्वारा फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत बनाए गए फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन, 2015 के खिलाफ है, जिसमें D.Pharm, B.Pharm और M.Pharm को फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकरण योग्य माना गया है। उन्होंने इसे अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन बताया।
PCI की दलीलें
- केवल डिप्लोमा इन फार्मेसी को मान्यता देना मनमाना और तर्कहीन है।
- केवल PCI को फार्मासिस्ट की योग्यता तय करने का अधिकार है।
- उच्च योग्यता वाले B.Pharm और M.Pharm धारकों को बाहर करना अनुचित है।
हाईकोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह सरकारी नौकरियों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय करे। फार्मेसी एक्ट और PCI के नियम केवल पंजीकरण और पेशेवर प्रैक्टिस से संबंधित हैं, भर्ती से नहीं।
कोर्ट ने कहा कि स्नातक या परास्नातक डिग्री धारकों को बाहर नहीं किया गया है, बशर्ते कि उन्होंने डिप्लोमा इन फार्मेसी किया हो। जब नियमों में न्यूनतम योग्यता D.Pharm तय की गई है, तो केवल इसे ‘तर्कहीन’ बताकर बदला नहीं जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि डिप्लोमा इन फार्मेसी, B.Pharm और M.Pharm एक ही शैक्षणिक धारा का हिस्सा नहीं हैं, और अनुभव से पता चला है कि D.Pharm धारक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक उपयुक्त हैं।
PCI को फटकार
कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की भूमिका पर भी फटकार लगते हुए कहा कि BTSC को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करना PCI का अनुचित कदम था। भर्ती की योग्यता तय करना राज्य सरकार का विशेषाधिकार है।
कोर्ट ने यह भी माना कि डिप्लोमा इन फार्मेसी धारकों को अस्पताल संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि B.Pharm और M.Pharm धारक आमतौर पर उद्योगों के लिए प्रशिक्षित होते हैं।
कोर्ट ने BTSC की भर्ती प्रक्रिया और बिहार फार्मासिस्ट कैडर नियम को वैध ठहराते हुए कहा डिप्लोमा इन फार्मेसी को न्यूनतम योग्यता मानना न तो मनमाना है, न ही भेदभावपूर्ण। इस आधार पर सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
Discussion about this post