Ashwagandha: अश्वगंधा (Withania somnifera), जो भारत सहित कई देशों की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में एक प्रमुख औषधीय जड़ी-बूटी रही है, अब वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय का भी ध्यान आकर्षित कर रही है।
PubMed डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2019 में अश्वगंधा पर 95 वैज्ञानिक अध्ययन सूचीबद्ध थे, जबकि 2024 में इनकी संख्या बढ़कर 201 हो गई। यह 111.58% की उल्लेखनीय वृद्धि है।
पारंपरिक नामों से लेकर वैज्ञानिक पहचान तक
अश्वगंधा को आमतौर पर “इंडियन विंटर चेरी” और “इंडियन जिनसेंग” के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिक रूप से इसे Withania somnifera (L.) Dunal कहा जाता है। यह एक छोटा बहुवर्षीय पौधा है, जिसमें सफेद फूल और नारंगी-लाल बेरी होती हैं। यह भारत के गर्म क्षेत्रों में अच्छी तरह पनपता है।
2025 तक 1,900 से अधिक शोध प्रकाशित
PubMed वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक अश्वगंधा पर कुल 1,911 वैज्ञानिक अध्ययन प्रकाशित हो चुके हैं, जो इस क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती शोधगत रुचि को दर्शाते हैं।
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आयुष मंत्रालय ने जारी की सुरक्षा रिपोर्ट
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रमाणित जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा पर एक विस्तृत सुरक्षा डोज़ियर प्रकाशित किया है। इसके साथ ही, डॉ. शिव कुमार सरिन (चांसलर, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलीरी साइंसेज़, नई दिल्ली) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई, जिसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित हो चुकी है।
जैव सक्रिय यौगिकों का भंडार
शोध में पाया गया है कि अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सिडेंट, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, और रीजुवेनेटिंग गुणों वाले कई जैव सक्रिय यौगिक होते हैं। यह जड़ी-बूटी एंडोक्राइन, कार्डियोपल्मोनरी, और सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
हाल की एक सिस्टमेटिक रिव्यू में पाया गया कि अश्वगंधा एक्सट्रैक्ट ने 400 प्रतिभागियों में से अधिकांश की नींद की गुणवत्ता में सुधार किया, विशेष रूप से उन लोगों में जिन्हें अनिद्रा की शिकायत थी। इसके साथ ही, सुबह मानसिक सतर्कता और चिंता के स्तर में भी कमी देखी गई।
तनाव और चिंता में राहत के प्रमाण
2021 की एक समीक्षा में भारत के 491 वयस्कों पर आधारित 7 क्लिनिकल ट्रायल्स का विश्लेषण किया गया। परिणामों में पाया गया कि 6 से 8 सप्ताह तक अश्वगंधा का सेवन करने से प्रतिभागियों में तनाव और चिंता के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई।
परंपरा और विज्ञान के संगम की ओर
अश्वगंधा अब पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के संगम पर खड़ा है। इसके निरंतर होते शोध इस जड़ी-बूटी के नए-नए चिकित्सीय पहलुओं को उजागर कर रहे हैं, जो भविष्य में मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि बन सकते हैं।
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