केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हाल ही में एक नोटिस जारी कर मेडिकल डिवाइस निर्माताओं और अन्य संबंधित पक्षों को अपने Market Standing Certificate (MSC) और Non-Conviction Certificate (NCC) के आवेदन दोबारा जमा करने का निर्देश दिया है। यह कदम CDSCO की ऑनलाइन प्रणाली में किए गए महत्वपूर्ण अपग्रेडेशन के चलते उठाया गया है।
अब CDSCO ने एक नई ऑटो-जेनरेशन वर्कफ़्लो प्रणाली लागू की है, जिससे मेडिकल डिवाइसेज़ के लिए MSC और NCC का निर्माण स्वचालित रूप से किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य भारत में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और नियामक प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाना है।
क्या है Market Standing Certificate (MSC)?
Market Standing Certificate, CDSCO द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र है जो यह दर्शाता है कि कोई मेडिकल डिवाइस निर्माता भारत में वैध लाइसेंस के तहत काम कर रहा है और उसका उत्पाद भारतीय बाज़ार में सक्रिय रूप से उपलब्ध है। यह सर्टिफिकेट विदेशों में उत्पादों का पंजीकरण करवाने के लिए आवश्यक होता है।
क्या है Non-Conviction Certificate (NCC)?
Non-Conviction Certificate यह प्रमाणित करता है कि किसी कंपनी के खिलाफ उसके मेडिकल डिवाइसेज़ से संबंधित किसी गंभीर चोट, मृत्यु, दोषपूर्ण कार्य या गुणवत्ता मानकों के उल्लंघन के मामले में कोई सजा नहीं हुई है।
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CDSCO का आधिकारिक बयान
नोटिस में कहा गया है कि व्यापार में सुविधा और नियामक प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से, मेडिकल डिवाइसेज़ के लिए MSC और NCC प्राप्त करने की ऑनलाइन प्रणाली को अपडेट किया गया है। अब यह प्रणाली स्वचालित रूप से प्रमाणपत्र जनरेट करेगी।
नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुराने वर्कफ़्लो के तहत जमा किए गए सभी आवेदन अब स्वतः ही निरस्त (Rejected) कर दिए जाएंगे।
क्या करना होगा निर्माताओं को?
इस नए बदलाव के चलते, CDSCO ने सभी संबंधित पक्षों से अनुरोध किया है कि वे नए वर्कफ़्लो के अनुसार अपने आवेदन दोबारा से जमा करें, ताकि ऑटो-जेनरेटेड प्रमाणपत्र प्राप्त किए जा सकें।
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