World Homeopathy Day: होम्योपैथी, एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। यह मान्यता रखती है कि जिस पदार्थ से किसी स्वस्थ व्यक्ति में किसी रोग के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, वही पदार्थ एक बीमार व्यक्ति के समान लक्षणों का उपचार कर सकता है। दो सौ वर्षों से अधिक पुराने इतिहास वाली यह पद्धति आज विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा प्रणाली बन चुकी है, जिस पर करोड़ों लोग भरोसा करते हैं।
हर साल 10 अप्रैल को भारत समेत पूरी दुनिया में विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुएल हैनिमन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यहां 10 करोड़ से भी अधिक लोग इस उपचार पद्धति पर निर्भर हैं।
गांधीनगर में ऐतिहासिक आयोजन
इस वर्ष भारत में अब तक का सबसे बड़ा होम्योपैथी सम्मेलन गुजरात के महात्मा मंदिर कन्वेंशन एंड एग्जीबिशन सेंटर, गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है। इसका आयोजन केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (CCRH), नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी (NCH) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी (NIH) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।
इस सम्मेलन में वैज्ञानिक चर्चाएं, शोध प्रस्तुतियां, और भारत की सबसे बड़ी होम्योपैथी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है, जो नवाचार, सहयोग और वैश्विक स्तर पर भारतीय होम्योपैथी की पहचान को आगे बढ़ाएगी।
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भारत में होम्योपैथी की स्थिति
भारत में होम्योपैथी एक मजबूत स्वास्थ्य सहायता प्रणाली के रूप में उभर चुकी है:
- 3.45 लाख से अधिक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर
- 277 अस्पताल और 8,593 डिस्पेंसरी, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं
- 8,697 बेड AYUSH वेलनेस अस्पतालों में होम्योपैथिक देखभाल के लिए
- 277 कॉलेज, जिनमें UG और PG दोनों स्तर की शिक्षा दी जाती है
- 7,092 शिक्षण संकाय, जो BHMS डॉक्टर्स की नई पीढ़ी को तैयार कर रहे हैं
- 384 दवा कंपनियाँ, जो गुणवत्तापूर्ण होम्योपैथिक दवाओं का उत्पादन करती हैं
- 1,117 फार्माकोपियल मोनोग्राफ, जो दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में सहायक हैं
- 35 अनुसंधान केंद्र, जो CCRH के अधीन कार्यरत हैं
कानूनी और संस्थागत ढांचा
भारत में होम्योपैथी की नियमन प्रक्रिया 1973 में होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट से शुरू हुई थी। समय के साथ आवश्यक सुधारों को ध्यान में रखते हुए 2020 में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम पारित किया गया, और 5 जुलाई 2021 को इसे प्रभाव में लाया गया।
अब राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (NCH) आधुनिक और पारदर्शी ढंग से इस प्रणाली को संचालित कर रहा है। इसके तहत 2023 में मेडिकल रिसर्च इन होम्योपैथी रेगुलेशन भी लागू किया गया है, जो अनुसंधान की वैज्ञानिकता और नैतिकता सुनिश्चित करता है।
अन्य प्रमुख संस्थान:
- CCRH: देशभर में 27 अनुसंधान इकाइयों और 7 उपचार केंद्रों के माध्यम से अनुसंधान और सेवा कार्य
- PCIM&H: भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के लिए फार्माकोपिया और ड्रग टेस्टिंग की जिम्मेदारी
निष्कर्ष
भारत में होम्योपैथी न केवल एक लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति है, बल्कि एक वैज्ञानिक, व्यवस्थित और कानूनी रूप से समर्थित प्रणाली बन चुकी है। विश्व होम्योपैथी दिवस जैसे आयोजन यह दर्शाते हैं कि भारत इस पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक विज्ञान से जोड़कर वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
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