Diabetes AI Device: मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक और क्रांति आ गई है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एआई (AI) आधारित डिवाइस तैयार किया है, जो किसी व्यक्ति में भविष्य में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के खतरे का अनुमान सटीक रूप से लगा सकता है।
यह डिवाइस (Diabetes AI Device) मरीज के शरीर की बायोलॉजिकल प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए यह भी तय कर सकता है कि उसके लिए कौन-सा इलाज सबसे प्रभावी रहेगा।
इस तकनीक (Diabetes AI Device) को वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है और इसे ‘डायनेमिक रिस्क स्कोर फॉर किड्स (DRS4C)’ नाम दिया गया है। यह डिवाइस खून में मौजूद microRNA अंशों का विश्लेषण करता है, जो डायबिटीज के शुरुआती संकेतों को पकड़ने में सक्षम होता है।
Diabetes AI Device: डायबिटीज की भविष्यवाणी में एआई की मदद
यह breakthrough रिसर्च प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल Nature Medicine में प्रकाशित की गई है। रिसर्च में भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, हांगकांग, न्यूजीलैंड और अमेरिका के 5,983 प्रतिभागियों के रक्त नमूनों का विश्लेषण किया गया। इसके बाद 662 अतिरिक्त लोगों पर परीक्षण कर यह सुनिश्चित किया गया कि डिवाइस कितनी प्रभावी है।
इस डिवाइस (Diabetes AI Device) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इलाज शुरू करने के महज एक घंटे के अंदर यह यह बता देती है कि मरीज को इंसुलिन की जरूरत है या नहीं। यह जानकारी डॉक्टरों को मरीज की चिकित्सा योजना बेहतर ढंग से तय करने में मदद करती है।
यह भी पढ़ें: MRI-CT Scan होंगे सस्ते: दिल्ली सरकार सभी सरकारी अस्पतालों में शुरू करेगी सेवाएं
बच्चों में बढ़ती टाइप 1 डायबिटीज पर कड़ी नज़र
मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर आनंद हार्डिकर ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज बच्चों में तेजी से फैल रही है और यह उनकी जीवन प्रत्याशा को औसतन 16 साल तक घटा सकती है। इसलिए यदि बीमारी की पहचान समय पर हो जाए, तो उसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
डॉ. मुग्धा जोगलेकर, जो इस शोध की सह-नेता हैं, ने बताया कि यह डिवाइस सिर्फ जेनेटिक आंकड़ों पर आधारित नहीं है, बल्कि यह समय के साथ शरीर में होने वाले परिवर्तनों को भी ट्रैक करता है। इस विशेषता के कारण इसे “डायनेमिक रिस्क मार्कर” कहा गया है। यह पारंपरिक जेनेटिक टेस्टिंग से कहीं ज्यादा उन्नत और सटीक मानी जा रही है।
वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में उम्मीद की किरण
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक (Diabetes AI Device) आने वाले समय में डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकती है। समय पर की गई पहचान और इलाज से लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। खासकर बच्चों में यह तकनीक उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभर सकती है।
यह डिवाइस न सिर्फ रोग की पहचान के लिहाज से, बल्कि चिकित्सा के व्यक्तिगतरण (personalization) में भी एक बड़ा कदम है, जहां हर मरीज के लिए इलाज को उसकी जैविक प्रतिक्रिया के अनुसार तय किया जा सकेगा।
संपर्क में रहने वाले वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस डिवाइस को जल्द ही वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध कराया जा सकेगा, ताकि इसे अस्पतालों और क्लिनिकों में आम उपयोग में लाया जा सके।
Discussion about this post