Muzaffarpur Rape Case: बिहार में मुजफ्फरपुर रेप पीड़िता की इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो वरिष्ठ डॉक्टरों पर कार्रवाई की है।
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह को पद से हटा दिया गया है, जबकि श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इस पूरे मामले को “बेहद जघन्य अपराध” करार देते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी हो चुकी है और सरकार ने 15 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल कर स्पीडी ट्रायल के जरिए न्याय दिलाने का निर्देश दिया है।
Muzaffarpur Rape Case: तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जिसमें विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर – डॉ. आर्यन चौधरी, डॉ. बी.के. सिंह और डॉ. प्रमोद कुमार शामिल हैं। यह कमेटी PMCH और SKMCH का दौरा कर पूरे मामले की जांच करेगी।
जांच के शुरुआती निष्कर्षों में यह सामने आया कि बच्ची के इलाज में रेफरल पॉलिसी का उल्लंघन हुआ और आवश्यक चिकित्सा सुविधा में गंभीर लापरवाही बरती गई। PMCH के प्रभारी डॉ. अभिजीत सिंह को प्रशासनिक विफलता और कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही का दोषी पाया गया। वहीं SKMCH की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा को बच्ची के उपचार में गंभीर लापरवाही और रेफरल प्रक्रिया के सही पालन में चूक के कारण निलंबित किया गया है।
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Muzaffarpur Rape Case: विपक्ष का सरकार पर तीखा हमला
इस घटना को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का इस्तीफा मांगते हुए पटना की सड़कों पर प्रदर्शन किया और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मंत्री के पीए IGIMS और अन्य अस्पतालों में बेड बेचने का गोरखधंधा चला रहे हैं, जिसका सीधा लाभ मंत्री को पहुंचता है। उन्होंने कहा कि यह घटना न सिर्फ चिकित्सा लापरवाही बल्कि राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था की भी भयावह तस्वीर पेश करती है।
Muzaffarpur Rape Case: SHO सहित तीन पुलिसकर्मी निलंबित
वहीं, मामले में लापरवाही बरतने पर बुधवार को तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इनमें तुर्की थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह, सब-इंस्पेक्टर मंज़र आलम और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद फरीदी शामिल हैं।
मुजफ्फरपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक (SSP) सुशील कुमार ने बताया कि 31 मई को तुर्की इलाके में एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि संबंधित पुलिसकर्मियों ने मामले में समय पर कार्रवाई नहीं की और एफआईआर दर्ज करने में देरी की, जिससे पीड़िता को न्याय मिलने में बाधा पहुंची।
SSP ने बताया कि तीनों पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। जांच पूरी होने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
Muzaffarpur Rape Case: बच्ची की मौत से उपजा आक्रोश
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में रेप की शिकार एक नाबालिग बच्ची की इलाज के दौरान 2 जून को मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। पीड़िता को SKMCH से PMCH रेफर किया गया था, लेकिन समय रहते समुचित इलाज न मिलने से उसकी जान चली गई।
सरकार की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वह इस संवेदनशील मामले में किसी भी तरह की कोताही को बर्दाश्त नहीं करेगी, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई ऊपरी दिखावा है और असल जिम्मेदार लोग अब भी सुरक्षित हैं।
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