UP News: “बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी” यह कहावत कानपुर के प्रशासनिक विवाद पर सटीक बैठती है। डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह और सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच उपजा टकराव अब कानपुर की सीमाओं को पार कर लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच गया है।
नतीजा ये हुआ कि सत्ता की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी खुद दो गुटों में बंट गई है। मामला केवल प्रशासनिक नहीं रहा, अब यह राजनीतिक रंग ले चुका है।
सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी बीते दिनों से ऑफिस नहीं जा रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने अपनी कुर्सी पर भगवा तौलिया रखकर प्रतीकात्मक संदेश देने की कोशिश की। जानकारों का कहना है कि यह सीधा संकेत है कि वह राज्य के (UP News) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शैली को अपनाकर अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
डीएम-सीएमओ आमने-सामने, आरोपों की बौछार
दोनों अफसर एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप (UP News) लगा चुके हैं। खबर है कि एक बैठक में डीएम ने सीएमओ को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया था, जिससे विवाद गहरा गया। इसके बाद से ही सीएमओ दफ्तर नहीं आ रहे और हरिदत्त नेमी ने सरकार को चिट्ठियों के ज़रिए अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
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भाजपा में दो फाड़, विधायक और एमएलसी आमने-सामने
यह विवाद भाजपा के भीतर दो गुटों में साफ बँटवारे का कारण बन गया है।
- सीएमओ गुट में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक सुरेन्द्र मैथानी और एमएलसी अरुण पाठक शामिल हैं।
- डीएम समर्थक खेमे में विधायक अभिजीत सिंह सांगा और महेश त्रिवेदी ने मोर्चा संभाला हुआ है।
सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर अपने-अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश की है। इस मुद्दे ने प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है।
UP News: जातीय समीकरणों से भी जुड़ा विवाद
विवाद का जातीय पहलू भी सामने आया है। डॉ. हरिदत्त नेमी दलित समुदाय से हैं जबकि डीएम ठाकुर समाज से आते हैं। यदि सरकार सीएमओ को हटाती है तो यह दलित विरोधी कार्रवाई के रूप में प्रचारित हो सकता है, जिससे पार्टी को सियासी नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि फैसले लेने में देरी हो रही है।
अखिलेश यादव ने बताया ‘सीएम बनाम डिप्टी सीएम’ की जंग
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को राजनीतिक मोड़ दे दिया है। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री योगी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच का विवाद बताया है। चूंकि स्वास्थ्य विभाग डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पास है और डीएम की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री के पास, इसलिए ये प्रशासनिक नहीं बल्कि शक्ति संघर्ष की लड़ाई बताई जा रही है।
भाजपा नेतृत्व धर्मसंकट में, दिल्ली तक मामला पहुँचा
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व अब इस विवाद (UP News) के समाधान को लेकर दबाव में है। एक तरफ सरकार की साख दांव पर है, दूसरी ओर जातीय और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौती बन गया है। दिल्ली में पार्टी हाईकमान तक मामला पहुंच चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है।
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