Oxygen Leak: शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में रविवार को उस वक्त अफरातफरी मच गई जब ऑक्सीजन लीक होने की खबर से मरीजों और तीमारदारों में भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 55 वर्षीय राम नरेश नामक व्यक्ति की मौत हो गई। हालांकि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन इस मौत को भगदड़ से हुई मानने को तैयार नहीं है।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि मृतक राम नरेश की हालत पहले से ही गंभीर थी और वह अंतिम स्टेज की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “गैस लीक या भगदड़ से उनकी मौत नहीं हुई है, उनकी तबीयत पहले से ही नाजुक थी।”
परिजनों का आरोप – भगदड़ में कुचले गए राम नरेश
दूसरी ओर मृतक के परिजन मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। परिजनों ने बताया कि जैसे ही गैस लीक होने की जानकारी मिली, अस्पताल स्टाफ ने सभी से बाहर निकलने को कहा, जिससे अचानक अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान लोग मरीजों को लेकर भागने लगे। राम नरेश के बेटे ने दावा किया, “अचानक भगदड़ मची, दो-तीन लोग पापा के ऊपर से दौड़ गए। हम उन्हें खींचकर ले तो आए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
Oxygen Leak: गैस लीक की वजह अब तक साफ नहीं
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन लीक (Oxygen Leak) कैसे हुआ। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की तैयारियों और सुरक्षा इंतजामों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रिंसिपल राकेश कुमार ने बताया कि स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है और सभी मरीजों को दोबारा वार्डों में पहुंचा दिया गया है।
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अस्पताल की लापरवाही पर भड़के लोग
घटना के बाद अस्पताल परिसर में मौजूद लोगों में गुस्सा देखा गया। तीमारदारों का कहना है कि अगर पहले से सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होते तो यह हादसा रोका जा सकता था। एक मरीज के परिजन ने कहा, “अगर समय रहते अस्पताल ने सतर्कता दिखाई होती तो आज एक जान न जाती। कल को इससे भी बड़ा हादसा हो सकता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”
प्रशासन की चुप्पी, जांच की मांग
इस हादसे को लेकर जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। मृतक के परिजनों और अन्य तीमारदारों ने प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी की लापरवाही से यह घटना हुई है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन लीक (Oxygen Leak) से मचा हड़कंप एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करता है। भले ही प्रशासन इसे सामान्य घटना बताने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन परिजनों के आरोप और हालात कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या अस्पतालों में मरीजों की जान की कीमत इतनी कम रह गई है?
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