NEET Fraud: राजस्थान पुलिस ने AIIMS जोधपुर में MBBS के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे छात्र सचिन गोरा और एक डॉक्टर अजीत गोरा को NEET 2020 परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि सचिन ने परीक्षा में खुद शामिल नहीं होकर एक “डमी कैंडिडेट” को पैसे देकर बिठाया था।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को जब सचिन गोरा की तस्वीर और परीक्षा रिकॉर्ड में लगे फोटो में मेल नहीं मिला, तब उन्होंने मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। जयपुर पश्चिम के डीसीपी अमित कुमार ने बताया कि परीक्षा में सचिन के एडमिट कार्ड में डॉ. अजीत गोरा की फोटो इस्तेमाल की गई थी।
NEET Fraud: तीसरा आरोपी स्वास्थ्य अधिकारी, भूमिका संदिग्ध
पुलिस ने जांच में पाया कि इस पूरे फर्जीवाड़े की साजिश में डॉ. सुभाष सैनी नाम के स्वास्थ्य अधिकारी की भी अहम भूमिका रही है। सैनी वर्तमान में नागौर के घाटवा में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
NEET Fraud: 60 लाख में तय हुआ था सौदा
पुलिस के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा करीब ₹60 लाख में तय हुआ था, ताकि डमी कैंडिडेट नीट पास कर सके। पूछताछ में यह भी सामने आया कि डॉ. सैनी ने साल 2013 में NEET-PG परीक्षा में भी ₹65 लाख लेकर किसी को पास करवाने की कोशिश की थी, जिसमें पुलिस ने तब छह लोगों को गिरफ्तार किया था।
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AIIMS जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में एडमिशन की पारदर्शिता पर सवाल
इस मामले के उजागर होने के बाद NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षा की प्रणाली और निगरानी पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। खासकर AIIMS जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एक डमी कैंडिडेट के जरिए दाख़िला मिलना शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े करता है।
पुलिस की कार्रवाई जारी, और गिरफ्तारियां संभव
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की तफ्तीश जारी है और इसमें शामिल अन्य लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
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