NEET-UG 2025 और पैरा मेडिकल प्रवेश परीक्षा (PPNET) 2025 में फर्जीवाड़े की एक बड़ी साजिश को जयपुर पुलिस ने विफल कर दिया है। यह परीक्षा देशभर के लाखों छात्रों के लिए मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश का जरिया है, और इसमें पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय रहती हैं।
जयपुर पश्चिम जिले की पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) और खुफिया एजेंसियों की मदद से एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया गया, जो परीक्षा में सॉल्वर बिठाकर उम्मीदवारों की जगह परीक्षा दिलाने और फर्जी दस्तावेजों के जरिये चयन कराने की साजिश रच रहा था।
पुलिस ने इस मामले में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से तीन ब्लूटूथ डिवाइस, परीक्षा से जुड़े कई फर्जी दस्तावेज, ₹50,000 नकद और एक स्कॉर्पियो गाड़ी बरामद की गई है। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी देश के अलग-अलग राज्यों से ताल्लुक रखते हैं और कई बार इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं।
गुप्त सूचना पर शुरू हुई कार्रवाई
पुलिस को यह गुप्त सूचना मिली थी कि आगामी NEET-UG और PPNET परीक्षा में कुछ लोग सॉल्वर बिठाकर धांधली करने की योजना बना रहे हैं। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए SOG और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर एक विशेष टीम गठित की। इस टीम ने संदिग्ध व्यक्तियों पर लगातार निगरानी रखनी शुरू की और तकनीकी सहायता के साथ उनके मूवमेंट को ट्रैक किया।
4 मई को नई दिल्ली में आयोजित NEET परीक्षा के दौरान, टीम ने सक्रिय रूप से निगरानी की और कई संदिग्ध गतिविधियों को रिकॉर्ड किया। जब पुष्टि हो गई कि यह वही गैंग है जिसकी सूचना मिली थी, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
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आरोपी और उनकी पहचान
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान हरियाणा के भिवानी निवासी मेंकुमार बराला, राजस्थान के लालसर निवासी साहिल लाल चौधरी, श्रीगंगानगर के पीलीबंगा निवासी मोहनलाल जाट, बिहार के ललनदेव यादव और एक अन्य सहयोगी के रूप में हुई है। ये सभी आरोपी मिलकर एक सुनियोजित नेटवर्क चला रहे थे, जिसमें छात्र-छात्राओं की जगह परीक्षा देने के लिए “सॉल्वर” का इस्तेमाल किया जाता था।
ये सॉल्वर उम्मीदवारों जैसे ही फर्जी पहचान पत्र, एडमिट कार्ड और फोटो का उपयोग कर परीक्षा केंद्रों में प्रवेश पाते थे। साथ ही, ब्लूटूथ डिवाइसेज़ की मदद से बाहर बैठे विशेषज्ञों से उत्तर हासिल करते थे।
जब्त की गई स्कॉर्पियो और हाईटेक डिवाइसेज़
पुलिस की टीम ने जयपुर के जगतपुरा इलाके से प्लेट नंबर 402 वाली एक स्कॉर्पियो गाड़ी भी जब्त की, जो कि फर्जी नंबर प्लेट के साथ इस्तेमाल की जा रही थी। इस गाड़ी का इस्तेमाल अभियुक्तों द्वारा परीक्षा केंद्रों तक पहुँचने और सॉल्वर को पहुंचाने के लिए किया जा रहा था। गाड़ी के अंदर से तीन हाईटेक ब्लूटूथ डिवाइसेज़ और कई फर्जी दस्तावेज़ भी बरामद किए गए हैं।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
पुलिस ने सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें धोखाधड़ी (धारा 420), जालसाजी (धारा 468, 471), पहचान छुपाकर अपराध करना (धारा 419), और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत साइबर अपराध जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं। यह सभी धाराएं गैर-जमानती हैं और दोष सिद्ध होने पर कठोर सजा का प्रावधान है।
परीक्षा की शुचिता पर मंडरा रहा था खतरा
NEET और PPNET जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं लाखों विद्यार्थियों के करियर का आधार होती हैं। ऐसे में अगर इस तरह की साजिशें सफल हो जातीं, तो न केवल मेहनती विद्यार्थियों के साथ अन्याय होता, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते। पुलिस की सतर्कता और समय पर की गई कार्रवाई से इस साजिश को नाकाम कर दिया गया, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता बनी रही।
आगे की कार्रवाई जारी
पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर कई अहम जानकारियाँ सामने आ रही हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस गिरोह के तार देश के अन्य हिस्सों में भी फैले हो सकते हैं। पुलिस तकनीकी साक्ष्यों और मोबाइल डेटा की सहायता से जांच को आगे बढ़ा रही है।
जयपुर पुलिस की इस सफलता को शिक्षा जगत और अभिभावकों से सराहना मिल रही है, जिन्होंने इसे एक “बड़ी कामयाबी” और “भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच” बताया है।
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