बच्चों में दिव्यांगता परिवारों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ी चुनौती है। वहीं दूसरी ओर, बुजुर्गों में लोकोमोटर (चलने-फिरने से जुड़ी) विकलांगता तेजी से बढ़ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी नीतियाँ लगातार प्रयासरत हैं। इसी दिशा में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (PMR) विशेषज्ञ डॉक्टरों की भूमिका अहम हो गई है।
वर्तमान में देश में लगभग 1,000 विशेष रूप से प्रशिक्षित PMR विशेषज्ञ कार्यरत हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में भी पुनर्वास (Rehabilitation) को स्वास्थ्य सेवाओं का अनिवार्य स्तंभ माना गया है।
आईएपीएमआर मिड-टर्म सीएमई 2025 का आगाज़
उक्त मुद्दों पर विचार करने के लिए 12 सितम्बर को आईएपीएमआर मिड-टर्म सीएमई 2025 का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह में डॉ. सुनीता शर्मा, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएँ, भारत सरकार और सर्जन वाइस एडमिरल आर्ति सरिन, एवीएसएम, वीएसएम, डायरेक्टर, आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। इस मौके पर दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने नीति और स्वास्थ्य क्षेत्र में पुनर्वास की अहमियत पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम 12 और 13 सितम्बर तक चला, जिसमें डॉक्टरों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग दी गई और लगभग 40 अग्रणी विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
जीवन के हर चरण पर ध्यान
सम्मेलन का थीम था – “From First Steps to Golden Years: Advancing Rehabilitation Across the Lifespan”। इसमें जीवन के हर चरण में पुनर्वास की ज़रूरतों को रेखांकित किया गया। पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.के. श्रीवास्तव और डॉ. एस.वाई. कोठारी ने भी भारत की पुनर्वास सेवाओं को और सुदृढ़ बनाने पर अपने सुझाव दिए।
वहीं, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) ने भी पुनर्वास विषयों को मेडिकल पाठ्यक्रमों में शामिल कर इस क्षेत्र को मज़बूती प्रदान की है।
नीति-निर्माताओं और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का सहयोग
कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रो. डॉ. अजय गुप्ता ने नीतिनिर्माताओं का आभार व्यक्त किया और कहा कि बेहतर इलाज के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम NCR क्षेत्र के प्रमुख संस्थानों में लगातार आयोजित हो रहे हैं।
इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के रिहैबिलिटेशन मेडिसिन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. स्टीवन फॉक्स ने भी हिस्सा लिया और स्ट्रोक पुनर्वास तथा दर्द प्रबंधन पर वैश्विक अनुभव साझा किए।
PMR एक सशक्त और प्रगतिशील शाखा: डॉ. मुरलीधरन पी.सी.
आईएपीएमआर के अध्यक्ष डॉ. मुरलीधरन पी.सी. ने कहा कि PMR ने वर्षों में लंबा सफर तय किया है और यह शाखा आज कार्यात्मक स्वतंत्रता, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने तथा दिव्यांगजन के अधिकारों की वकालत करने में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद यह शाखा एक प्रतिस्पर्धी, गतिशील और संतोषजनक चिकित्सा शाखा के रूप में उभर रही है।
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