AIIMS, Best Medicine For High BP: भारत और दक्षिण एशियाई देशों में हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल (CCDC) और इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूके के संयुक्त अध्ययन में यह पाया गया है कि दो ब्लड प्रेशर की दवाओं वाली एक गोली, हाई बीपी के इलाज में न सिर्फ ज्यादा प्रभावी है, बल्कि बेहद सुरक्षित और सरल भी है।
तीन दवा संयोजनों का किया गया परीक्षण
इस स्टडी में तीन अलग-अलग दोहरी दवा संयोजन वाली गोलियों का परीक्षण किया गया:
- एम्लोडिपिन + पेरिंडोप्रिल
- एम्लोडिपिन + इंडापामाइड
- पेरिंडोप्रिल + इंडापामाइड
32 अस्पतालों में हुए इस ट्रायल में भारत के 1,200 से अधिक हाई ब्लड प्रेशर मरीजों को शामिल किया गया।
6 महीने में मिला सकारात्मक असर
प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन (AIIMS Research) के मुताबिक, सभी तीन दवा संयोजन ब्लड प्रेशर को कम करने में समान रूप से प्रभावी रहे। छह महीने के अंदर 24 घंटे की निगरानी में औसतन 14/8 mmHg की गिरावट दर्ज की गई। साथ ही क्लिनिक में मापे गए ब्लड प्रेशर में लगभग 30/14 mmHg की कमी देखी गई।
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AIIMS प्रोफेसर बोले- बेहद सफल रहा प्रयोग
AIIMS, दिल्ली में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज रॉय ने बताया कि लगभग 70% मरीजों का ब्लड प्रेशर नियंत्रण में आ गया, जो भारत के राष्ट्रीय औसत से कई गुना अधिक है। यह तरीका सुरक्षित, सरल और रोगी के लिए सुविधाजनक है। उपचार के दौरान गंभीर दुष्प्रभाव की घटनाएं बेहद कम थीं। सिर्फ 3% से भी कम मरीजों को इलाज बंद करना पड़ा।
CCDC डायरेक्टर का बयान
डॉ. दोराईराज प्रभाकरन, कार्यकारी निदेशक, CCDC ने कहा कि यह अध्ययन दिखाता है कि दो दवाओं का संयोजन दक्षिण एशियाई आबादी के लिए एक प्रभावी और टिकाऊ समाधान हो सकता है। अगर इस गोली को भारत की आवश्यक दवाओं की सूची में जोड़ा जाए और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराया जाए, तो ब्लड प्रेशर कंट्रोल दर में क्रांतिकारी सुधार संभव है।
भारत में हाई बीपी के हालात
- भारत में 30 करोड़ से ज्यादा लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं।
- हाइपरटेंशन, हृदयघात, स्ट्रोक और किडनी फेल होने का बड़ा कारण है।
- भारत में वर्तमान बीपी कंट्रोल दर मात्र 15% के आसपास है, जबकि यह स्टडी 70% तक की प्रभावशीलता दिखाती है।
नीतिगत बदलाव की ज़रूरत
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इन दवा संयोजनों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा “जरूरी दवाओं” की सूची में शामिल कर सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जाए। इससे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार होगा और करोड़ों लोगों को जीवन रक्षक मदद मिल सकेगी।
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