Dr. MC Dawar: मात्र 20 रुपये में लोगों का इलाज कर जनसेवा की मिसाल बन चुके पद्मश्री सम्मानित डॉ. मुनिश्वर चंद्र डावर का शुक्रवार को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन से जबलपुर ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।
उनके अंतिम संस्कार की रस्में शुक्रवार शाम 4 बजे गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में पूरी की गईं, जिसमें बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक, साथी डॉक्टर और उनके पुराने मरीज शामिल हुए।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर शोक जताते हुए लिखा कि पद्मश्री डॉ. एमसी डावर (Dr. MC Dawar) के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। यह जबलपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उन्होंने अपनी हाल ही में डॉ. द्वार से हुई मुलाकात को याद करते हुए कहा कि उनकी जनसेवा के प्रति समर्पण से वे बेहद प्रभावित हुए थे।
पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।
विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके… pic.twitter.com/rt7cJsYyEd
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 4, 2025
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि आपका निधन मानव सेवा एवं जनकल्याण के क्षेत्र में एक गहरा शून्य छोड़ गया है।
जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि गरीबों का इलाज मात्र दो रुपये में करने वाले जबलपुर की शान, पद्मश्री डॉ. एम.सी. डावर (Dr. MC Dawar) के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है।
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Dr. MC Dawar: विभाजन की पीड़ा से निकला जनसेवा का संकल्प
डॉ. मुनिश्वर चंद्र डावर (Dr. MC Dawar) का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। भारत-पाक विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वे सिर्फ 2 साल के थे। उनका बचपन गरीबी में बीता। उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने जालंधर में भी पढ़ाई की। इसके बाद 1967 में जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की।
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने भारतीय सेना में एक वर्ष तक सेवाएं दीं। युद्ध के बाद 1972 में वह जबलपुर लौटे और यहां पर उन्होंने जनसेवा की भावना से चिकित्सा सेवा शुरू की। शुरुआत में मात्र 2 रुपये में मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. द्वार ने कभी फीस को प्राथमिकता नहीं दी। बाद में यह फीस क्रमश: 5 रुपये, 10 रुपये, 15 रुपये और अंत में 20 रुपये तक पहुँची, जो आज भी बेहद कम मानी जाती है।
2023 में मिला था पद्मश्री सम्मान
गरीबों और जरूरतमंदों की निस्वार्थ सेवा के लिए डॉ. डावर (Dr. MC Dawar) को वर्ष 2023 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके सादगीपूर्ण जीवन और जनकल्याण के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर दौरे पर आए थे, तो उन्होंने व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर डावर (Dr. MC Dawar) से मुलाकात की थी। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉक्टर डावर से उनके घर पर मुलाकात की थी।
उनकी मौत के बाद पूरा जबलपुर उन्हें नम आंखों से विदाई दे रहा है। हजारों मरीजों की जिंदगी संवारने वाले इस मसीहा का नाम जनमानस में हमेशा जीवित रहेगा।
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