केरल में हाल के दिनों में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Amoebic Meningoencephalitis) नामक खतरनाक बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
इस साल राज्य में अब तक 40 से ज्यादा केस (Meningoencephalitis) सामने आ चुके हैं, जिनमें कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है। मृतकों में छोटे बच्चे और बुजुर्ग अधिक शामिल हैं। हाल ही में 9 साल की बच्ची और 3 महीने के शिशु की मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। जांच में पता चला है कि लगभग सभी मरीज तालाब या कुएं जैसे असुरक्षित जल स्रोत से जुड़े थे।
संक्रमण कैसे फैलता है?
यह अमीबा (Naegleria fowleri) तब इंसान के शरीर में प्रवेश करता है जब कोई व्यक्ति तालाब, कुएं, झील या गंदे स्विमिंग पूल में नहाता है और पानी नाक के जरिए अंदर चला जाता है। इसके बाद यह जीव सीधे दिमाग तक पहुंचकर दिमागी ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है।
संक्रमण (Meningoencephalitis) के शुरुआती लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, उलझन, उल्टी, दौरे और कुछ ही दिनों में कोमा जैसी स्थिति शामिल है। डॉक्टरों के अनुसार, इस बीमारी की मौत दर 95% से अधिक है, जिससे इसका खतरा और भी गंभीर हो जाता है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने “जल ही जीवन है” नाम से जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसके तहत तालाब और कुओं की सफाई, क्लोरीन मिलाने की नियमित जांच और स्कूलों में बच्चों को पानी से जुड़ी सावधानियों की जानकारी दी जा रही है। साथ ही, असुरक्षित तालाबों में नहाने और तैरने पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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क्यों है प्रिवेंशन जरूरी?
यह बीमारी (Meningoencephalitis) बेहद घातक है और इसके इलाज की सफलता दर बहुत कम है। डॉक्टरों का कहना है कि बचाव ही इसका सबसे प्रभावी उपाय है।
- तालाब, कुएं या गंदे पानी में नहाने से बचें।
- तैराकी करते समय केवल क्लोरीनयुक्त और साफ पानी का ही प्रयोग करें।
- स्विमिंग के दौरान नाक क्लिप पहनें ताकि पानी नाक में न जाए।
- नाक धोने या धार्मिक क्रियाओं में हमेशा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी इस्तेमाल करें।
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