SC on NEET-PG: वर्षों से NEET-PG परीक्षा में पारदर्शिता की मांग कर रहे डॉक्टर्स को अब राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में नीट-पीजी काउंसलिंग प्रणाली में व्यापक सुधार के निर्देश दिए हैं।
दो डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने 10 बिंदुओं पर निर्देश जारी किए हैं, जिसमें राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) को NEET-PG परीक्षा के कच्चे अंक, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण फॉर्मूला सार्वजनिक करने का आदेश भी शामिल है।
यह याचिका दो NEET-PG उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने 2017-18 की परीक्षा दी थी और दावा किया था कि रेडियोलॉजी जैसी उच्च प्राथमिकता की सीटें कम मेरिट वाले छात्रों को दे दी गईं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने और सीट ब्लॉकिंग की जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को सिर्फ 1-1 लाख रुपये मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने का निर्देश दिया, लेकिन व्यवस्था में सुधार के लिए दस महत्त्वपूर्ण निर्देश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट के 10 प्रमुख निर्देश
- राष्ट्रीय रूप से समन्वित काउंसलिंग कैलेंडर लागू किया जाए, जिससे AIQ और राज्य स्तर की काउंसलिंग एकसमान हो और सीट ब्लॉकिंग रोकी जा सके।
- सभी निजी/डीम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा प्री-काउंसलिंग शुल्क का पूर्ण विवरण (ट्यूशन, हॉस्टल, जमानत राशि आदि) अनिवार्य रूप से प्रकाशित किया जाए।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तहत एक केंद्रीकृत शुल्क विनियमन ढांचा तैयार किया जाए।
- द्वितीय राउंड के बाद अपग्रेडेशन की सुविधा दी जाए, जिससे छात्र बेहतर सीट पर जा सकें लेकिन नए प्रवेशार्थी न जुड़ सकें।
- कच्चे अंक, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण फॉर्मूला प्रकाशित करना अनिवार्य किया जाए ताकि मल्टी-शिफ्ट परीक्षा में पारदर्शिता बनी रहे।
- सीट ब्लॉकिंग पर सख्त दंड, जैसे कि सुरक्षा राशि जब्त करना, भविष्य के NEET-PG से अयोग्यता, और दोषी कॉलेजों की ब्लैकलिस्टिंग।
- आधार आधारित सीट ट्रैकिंग प्रणाली लागू की जाए, जिससे एक छात्र द्वारा कई सीटों पर कब्जा रोका जा सके।
- नियम उल्लंघन पर राज्य प्राधिकरणों और संस्थागत DMEs को दंडात्मक कार्रवाई या अवमानना में लाया जाए।
- सभी राज्यों में एक समान काउंसलिंग आचार संहिता लागू की जाए, जिससे पात्रता, मॉप-अप राउंड, सीट वापसी आदि पर स्पष्ट नियम हो।
- NMC के तहत थर्ड पार्टी ऑडिट प्रणाली लागू की जाए, जो हर साल काउंसलिंग डेटा और नियमों के पालन की जांच करे।
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सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
पीठ ने कहा, “NEET-PG काउंसलिंग को पारदर्शी और मेरिट आधारित प्रणाली के रूप में तैयार किया गया था, लेकिन समय के साथ यह सीट ब्लॉकिंग जैसे भ्रष्ट प्रथाओं का केंद्र बन गया।”
अदालत ने यह भी कहा कि, “सीट ब्लॉकिंग केवल एक अनियमितता नहीं बल्कि गवर्नेंस की विफलता, पारदर्शिता की कमी और नीति के कमजोर क्रियान्वयन को दर्शाती है।”
राज्य सरकार और NMC के उठाए गए कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि:
- उम्मीदवारों से सुरक्षा राशि ली जा रही है ताकि वे सीट छोड़ने से बचें।
- सभी स्टे वेकेंसी राउंड अब ऑनलाइन होते हैं।
- जो उम्मीदवार अंतिम राउंड में सीट लेकर जॉइन नहीं करते, उन्हें एक वर्ष के लिए डिबार किया जा रहा है।
NMC की रिपोर्ट:
NMC ने कोर्ट को सूचित किया कि अब पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। AIQ और राज्य कोटे दोनों के लिए ऑनलाइन मोड अपनाया गया है। सभी खाली सीटें अगले राउंड में रोल फॉरवर्ड होती हैं, जिससे सीटों की बर्बादी नहीं होती।
कुल 4 राउंड—राउंड 1, राउंड 2, मॉप-अप राउंड और स्ट्रे वेकेंसी राउंड— अब आयोजित किए जाते हैं, जिससे अधिकतम सीटों का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
मुआवजा नहीं लेकिन न्यायपूर्ण समाधान:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को एमडी रेडियोलॉजी में सीट न मिलना दुखद था, लेकिन वे अपने-अपने विकल्पों (पैथोलॉजी और पीडियाट्रिक्स) में दाखिला लेकर कोर्स पूरा कर चुके हैं। इसलिए 10 लाख रुपये का मुआवजा “अनुचित और अत्यधिक” है। इसके स्थान पर 1 लाख रुपये प्रत्येक को मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने का आदेश दिया गया।
अन्य लंबित याचिकाएं:
सुप्रीम कोर्ट में अभी कम से कम दो और याचिकाएं लंबित हैं जिनमें NEET-PG की पारदर्शिता और NBE द्वारा दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने के निर्णय को चुनौती दी गई है। इनमें से एक याचिका यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) द्वारा दाखिल की गई है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल दो डॉक्टरों के साथ हुए अन्याय की ओर ध्यान आकर्षित करता है, बल्कि देशभर के NEET-PG अभ्यर्थियों के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह व्यवस्था का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इससे मेडिकल शिक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल होने की उम्मीद है।
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