भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में HIV के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे एक बड़ा स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिजोरम में HIV 2.73% की दर से फैल रहा है, जो कि राष्ट्रीय औसत 0.2% से बहुत ज्यादा है।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री लालरिनपुई ने इस बढ़ते संकट पर गहरी चिंता जताई और इस महामारी से निपटने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एचआईवी की बढ़ती दर को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। एड्स पर मिजोरम लेजिसलेटिव फोरम की बैठक में उन्होंने एचआईवी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
HIV रोकथाम के लिए सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस संक्रमण की रोकथाम के लिए नियमित रक्त परीक्षण कराने और रोगियों की स्थिति पर ध्यान रखने के लिए एआरटी दवा लेने की सलाह दी है। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) उन दवाओं का एक संयोजन है जो एचआईवी संक्रमण का इलाज करता है। एचआईवी से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए ये दवा लेने की सलाह दी जाती है।
मिजोरम में HIV के चौंकाने वाले आंकड़े
मिजोरम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (MSACS) की डायरेक्टर डॉ। जेन आर। रालते ने बताया कि जनवरी 2025 तक 32,287 लोग HIV पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से 5,511 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच 1,769 नए मामले सामने आए हैं। कुल मामलों में 67% संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध के कारण हुआ है, वहीं 30.44% संक्रमण अनस्टरलाइज्ड (गंदे) इंजेक्शन के उपयोग से फैला है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नए संक्रमणों में कुछ हद तक कमी देखी गई है और एचआईवी से होने वाली मौतों में भी गिरावट आई है।
HIV से निपटने के लिए सरकार की पहल
मिजोरम के विधायकों ने अपनी विधायक निधि (MLA Fund) से प्रत्येक ने 50,000 रुपये देने का निर्णय लिया है, ताकि HIV संक्रमित लोगों को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) की निरंतर सुविधा मिलती रहे। सरकार ने मिजोरम में HIV सेल्फ-टेस्टिंग (HIVST) सुविधा की शुरुआत की है, जिससे लोग अपने घरों में ही आसान किट्स की मदद से टेस्ट कर सकते हैं।
HIV सेल्फ-टेस्टिंग से कैसे मिलेगी राहत?
- गोपनीयता बनी रहेगी: लोग घर पर रहकर बिना किसी झिझक के टेस्ट कर सकते हैं।
- आसान प्रक्रिया: लार या खून का सैंपल लेकर मिनटों में रिजल्ट मिल जाता है।
- दूर-दराज के इलाकों में मदद: जिन जगहों पर हेल्थकेयर की पहुंच सीमित है, वहां के लोग भी आसानी से अपनी जांच कर सकते हैं।
पंजाब के लुधियाना में भी बढ़ रहे मामले
मिजोरम के अलावा पंजाब के लुधियाना में भी HIV के बढ़ते मामले और इसके कारण गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। खबरों के मुताबिक यहां साल 2024 में 1,658 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
लुधियाना में HIV के अधिकांश मरीज इंट्रावेनस ड्रग यूजर्स (आईडीयू) हैं, यानी ये लोग ड्रग्स के इंजेक्शन लेते थे, जिसमें संक्रमित सिरिंज के कारण ये रोग हो गया। HIV के मरीजों में आईडीयू का प्रतिशत 2010 में 12.8% था जो 2024 में बढ़कर 59.16% हो गया है।
पिछले साल त्रिपुरा में फैला था संक्रमण
जुलाई 2024 में त्रिपुरा के कुछ स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र संक्रमित पाए गए थे। जुलाई के शुरुआती हफ्तों में त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में HIV से 47 छात्रों की मौत हो गई है और 828 छात्र HIV पॉजिटिव पाए गए हैं। कई छात्र देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए त्रिपुरा से बाहर भी चले गए हैं।
त्रिपुरा एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने 220 स्कूलों, 24 कॉलेजों और कुछ विश्वविद्यालयों के छात्रों की पहचान की थी जो इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाओं का सेवन करते थे। संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए इसे प्रमुख कारण माना जा रहा था।
दुनियाभर में कैसे हैं संक्रमण के हालात
इन सबके बीच HIV संक्रमण को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल के आखिर के महीनों में राहत भरी जानकारी साझा की। रिपोर्ट के मुताबिक साल 1980 के दशक के अंत में इस रोग के बढ़ने के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है जब इसके सबसे कम मरीज रिपोर्ट किए गए हैं। वर्ष 2023 में HIV से संक्रमित लोगों की संख्या किसी भी समय की तुलना में सबसे कम रही, हालांकि ये संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से अब भी बहुत ज्यादा है।
यूएनएड्स एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में लगभग 1.3 मिलियन (13 लाख) लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए। यह अभी भी एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आवश्यक संख्या से तीन गुना अधिक है।
HIV के बढ़ने की मुख्य वजहें
- असुरक्षित यौन संबंध: अधिकांश मामलों में बिना सुरक्षा उपायों (कंडोम) के यौन संबंध बनाने से एचआईवी फैल रहा है।
- इंजेक्शन के माध्यम से संक्रमण: नशे की लत में अनस्टरलाइज्ड या संक्रमित सुई का उपयोग भी संक्रमण का बड़ा कारण है।
- जागरूकता की कमी: ग्रामीण इलाकों में एचआईवी के प्रति सही जानकारी और समय पर टेस्ट की सुविधा का अभाव।
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