National Consultation on Adolescent Nutrition: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR-NIN), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और यूनिसेफ-इंडिया के नेतृत्व में “लेट्स फ़िक्स अवर फ़ूड” (एलएफओएफ) कंसोर्टियम ने एक महत्वपूर्ण हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की। इस पहल का उद्देश्य भारतीय किशोरों में बढ़ते मोटापे और अस्वास्थ्यकर खाद्य वातावरण से निपटना है।
बैठक के दौरान नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल और ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने प्रमुख नीति संक्षिप्त विवरण और पोषण साक्षरता संसाधनों का विमोचन किया। आईसीएमआर-एनआईएन की निदेशक डॉ. भारती कुलकर्णी की उपस्थिति में इस परामर्श में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
मोटापे पर बढ़ता संकट और आवश्यक नीतियां
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने किशोरों में मोटापे की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए कहा, “यदि इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक उत्पादकता पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डालेगी। एलएफओएफ कंसोर्टियम स्वस्थ खाद्य वातावरण के निर्माण के लिए साक्ष्य जुटाने और प्रभावी नीतियों की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, “किशोरों के पोषण में निवेश करना केवल एक स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अनिवार्यता भी है। विज्ञापनों पर नियंत्रण, एचएफएसएस (उच्च वसा, चीनी और नमक) खाद्य पदार्थों पर कर लगाने और पोषण साक्षरता बढ़ाने जैसी नीतियों को लागू कर हम किशोरों के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित कर सकते हैं।”
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प्रमुख घोषणाएं और शोध निष्कर्ष
कार्यक्रम में नीति संबंधी शोध और प्रमुख संसाधनों का विमोचन किया गया, जिसमें शामिल हैं:
- नीतिगत संक्षिप्त विवरण: 163,000 से अधिक युवाओं की राय एकत्रित कर विज्ञापन और विपणन नियमों को सख्त करने की सिफारिश।
- मॉडल स्कूल पोषण पाठ्यक्रम: स्कूलों में भोजन और पोषण शिक्षा को एकीकृत करने की पहल।
- खाद्य लेबल पढ़ने पर आधारित कॉमिक बुक: किशोरों में पोषण साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा संसाधन।
यूनिसेफ और पीएचएफआई की तकनीकी सहायता से एलएफओएफ पहल ने किशोरों को नीति चर्चाओं के केंद्र में रखा है। ई-संवाद, युवा राजदूत नेटवर्क और खाद्य साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी आवाज़ को प्राथमिकता दी गई है। कार्यक्रम में किशोर प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए कि किस प्रकार अस्वास्थ्यकर खाद्य वातावरण उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
बहु-क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता
बैठक के दौरान विशेषज्ञों ने किशोरों के पोषण सुधार में बहु-क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। पैनल चर्चा में अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर कर लगाने, किशोरों द्वारा संचालित वकालत अभियानों और सख्त नियामक उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।
एलएफओएफ कंसोर्टियम ने अगले कुछ वर्षों में निम्नलिखित प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य रखा है:
- किशोरों को सूचित खाद्य विकल्प अपनाने हेतु पोषण साक्षरता कार्यक्रमों को बढ़ाना।
- भ्रामक एचएफएसएस खाद्य विज्ञापनों के खिलाफ सख्त नियम लागू करना।
- अस्वास्थ्यकर उपभोग पैटर्न को रोकने के लिए कराधान की वकालत करना।
- स्कूलों और घरों में पोषण संबंधी सुधार लागू करना।
इस परामर्श बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), शिक्षा मंत्रालय, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) जैसे प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों सहित शिक्षकों और स्कूली छात्रों ने भी भाग लिया।
यह पहल भारत में किशोरों के पोषण और खाद्य वातावरण को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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