ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अहमदाबाद स्थित वीएस अस्पताल में भविष्य में किसी भी प्रकार के क्लीनिकल ट्रायल पर रोक लगा दी है।
यह फैसला उस आधिकारिक जांच के बाद आया है जिसमें खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 से अप्रैल 2025 के बीच अस्पताल में 58 अवैध क्लीनिकल ट्रायल किए गए, जिनके लिए न तो उचित मंजूरी ली गई थी और न ही किसी तरह की नैतिक निगरानी थी।
500 से अधिक मरीजों पर किया गया ट्रायल
अहमदाबाद नगर निगम (AMC) की पांच सदस्यीय जांच समिति ने, जिसकी अध्यक्षता सतर्कता विभाग प्रमुख कर रहे थे, अपनी विस्तृत रिपोर्ट में बताया कि इन गैरकानूनी ट्रायल्स में 500 से अधिक मरीजों को शामिल किया गया। इसके बाद DCGI ने AMC को वीएस अस्पताल में किसी भी प्रकार की भविष्य की क्लीनिकल ट्रायल गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया।
DCGI: तीन डॉक्टरों पर लगे गंभीर आरोप
रिपोर्ट के अनुसार, ये ट्रायल पूर्व अधीक्षक डॉ. मनीष पटेल, पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर एवं क्लीनिकल हेड डॉ. देवांग राणा, और डॉ. धवैत शुक्ला द्वारा निजी आर्थिक लाभ के लिए कराए गए। ट्रायल से प्राप्त राशि अस्पताल में जमा नहीं कराई गई, बल्कि आरोपियों और उनके परिवारों के बैंक खातों में डाली गई।
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अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू
AMC अधिकारियों ने बताया कि अब दोषी डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी और उन्हें चार्जशीट दी जाएगी। इससे पहले प्रारंभिक जांच की गई थी, जिसके बाद DCGI अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा कर संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे।
अस्पताल में नहीं है आवश्यक ढांचा
AMC सूत्रों के अनुसार, वीएस अस्पताल के पास न तो स्थायी वरिष्ठ डॉक्टर हैं और न ही यह किसी मान्यता प्राप्त नैतिक समिति से संबद्ध है। अस्पताल में क्लीनिकल ट्रायल के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचा भी मौजूद नहीं है। बावजूद इसके, निजी नैतिक समिति की मंजूरी लेकर नियमों की गलत व्याख्या कर ट्रायल किए गए।
2021 में हटा दी गई थी नैतिक समिति की मान्यता
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, 19 अप्रैल को कांग्रेस पार्षद रजश्री केसरी की शिकायत पर यह जांच शुरू की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अस्पताल के डॉक्टर बिना अनुमति के दवाओं के ट्रायल कर रहे हैं और ट्रायल से जुड़ी धनराशि को अपने निजी खातों में स्थानांतरित कर रहे हैं। इसके बाद AMC ने डॉ. राणा समेत आठ संविदा डॉक्टरों को निलंबित कर दिया और डॉ. पटेल व अन्य को नोटिस जारी किए।
AMC अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2019 में SVP अस्पताल को वीएस अस्पताल परिसर में संचालित किया गया था, जिसमें नैतिक समिति बनाई गई थी। लेकिन 2021 में वीएस अस्पताल को इस समिति से अलग कर दिया गया, जिससे वहां ट्रायल करना असंभव हो गया। अगर किसी निजी समिति को ट्रायल कराना भी होता, तो उसे AMC, मेडिकल एजुकेशन ट्रस्ट और वीएस अस्पताल प्रबंधन से अनुमति लेनी होती।
कई दवा कंपनियां जांच के घेरे में
Medical Dialogues की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में नौ डॉक्टरों को निलंबित किया गया है और लगभग 50 दवा कंपनियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जिन्होंने बिना मंजूरी के ट्रायल कराए।
यह मामला देश के क्लीनिकल ट्रायल सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़ा करता है और दर्शाता है कि कैसे नियमों की अनदेखी कर मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया। DCGI की सख्ती के बाद अब इस प्रकार की गतिविधियों पर लगाम लगाने की उम्मीद है।
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