Ajmer DCDRC: अजमेर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (DCDRC), अजमेर ने हाल ही में रेलवे को एक डॉक्टर को ₹60,000 का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
यह मामला वर्ष 2016 का है, जब जेएलएन अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक, जो जेएलएन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर भी हैं, योगा एक्सप्रेस से दिल्ली से अजमेर लौटे थे। ट्रेन के अजमेर स्टेशन पर पहुंचने पर, जब डॉक्टर द्वितीय एसी कोच से उतरने लगे, उस समय वहां प्लेटफार्म नहीं था, जिससे वह गिर पड़े और उन्हें कई गंभीर चोटें आईं।
6 महीने तक रहे बिस्तर पर
यह हादसा 10 अप्रैल 2016 को हुआ था। डॉक्टर को कई फ्रैक्चर हुए और उन्हें छह महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ा। इस दौरान वह जेएलएन अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं कर सके। डॉक्टर की ओर से अधिवक्ता सूर्य प्रकाश गांधी ने उपभोक्ता आयोग (DCDRC) के समक्ष तर्क दिया कि कोच स्टेशन के अंतिम छोर पर रुका था जहां प्लेटफॉर्म नहीं था, और उतरते वक्त यह हादसा हुआ।
रेलवे ने खुद को बताया निर्दोष
रेलवे ने अपने जवाब में कहा कि यात्री ने खुद बिना देखे कोच से नीचे उतरने की कोशिश की, जबकि यात्रियों को केवल प्लेटफॉर्म वाले स्थान से उतरना चाहिए। रेलवे ने यह भी तर्क दिया कि डॉक्टर उपभोक्ता नहीं हैं और उन्हें रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल से संपर्क करना चाहिए।
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DCDRC ने मानी रेलवे की लापरवाही
हालांकि, जिला उपभोक्ता आयोग (DCDRC) ने रेलवे की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि जब यात्री ने टिकट लेकर सेवा ली है तो वह उपभोक्ता माना जाएगा और आयोग को इस मामले की सुनवाई का अधिकार है। आयोग ने इसे रेलवे की बड़ी लापरवाही करार देते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना रेलवे की जिम्मेदारी है।
मानसिक उत्पीड़न सहित कुल ₹60,000 का मुआवजा
आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमावत तथा सदस्य दिनेश चतुर्वेदी और जयश्री शर्मा की पीठ ने 6 जून को पारित आदेश में रेलवे को ₹25,000 का मुआवजा, ₹10,000 मानसिक उत्पीड़न के लिए और ₹25,000 उपभोक्ता आयोग के वेलफेयर खाते में जमा कराने का निर्देश दिया है। साथ ही ₹25,000 के मुआवजे पर 22 नवंबर 2016 से 9% वार्षिक ब्याज भी देने का आदेश दिया गया है।
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