ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अवैध ऑनलाइन दवा बिक्री और क्विक डिलीवरी पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
संगठन का कहना है कि कुछ ई-फार्मेसी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे Zepto, Blinkit) सिर्फ 10 मिनट में नशीली और प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाएं घर-घर पहुंचा रहे हैं, जो दवा कानून और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन है।
55% बढ़ा ड्रग्स का दुरुपयोग
AIOCD अध्यक्ष जे. एस. शिंदे और महासचिव राजीव सिंगल ने कहा कि जहां ऑफलाइन केमिस्ट्स पर कड़ी निगरानी रहती है, वहीं ऑनलाइन खिलाड़ियों पर कोई रोक नहीं है, जिसके चलते ड्रग्स के दुरुपयोग में 55% की वृद्धि दर्ज की गई है।
शेड्यूल H, H1 और X दवाओं पर फोकस
भारत में शेड्यूल H, H1 और X दवाएं केवल पंजीकृत डॉक्टर के पर्चे पर मिल सकती हैं—
- शेड्यूल H: एंटीबायोटिक्स और कई प्रिस्क्रिप्शन दवाएं
- शेड्यूल H1: हैबिट-फॉर्मिंग (लत लगाने वाली) दवाएं, एंटी-TB व एंटीबायोटिक्स
- शेड्यूल X: नशीली और साइकोट्रॉपिक पदार्थ, जिन पर अतिरिक्त निगरानी जरूरी
AIOCD का कहना है कि इन दवाओं को बिना जांच के ऑनलाइन बेचा जा रहा है, जिससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
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AIOCD की प्रमुख आपत्तियां
- घोस्ट प्रिस्क्रिप्शन – हैदराबाद का डॉक्टर आधी रात को मुंबई के मरीज को दवा लिख देता है।
- ऑफलाइन पर सख्ती, ऑनलाइन पर ढिलाई – ऑफलाइन दुकानदारों पर कार्रवाई होती है, लेकिन ई-फार्मेसी पर कोई रोक नहीं।
- निगरानी की कमी – पर्चे की असलियत जांचने का कोई सिस्टम नहीं।
- नशे के लिए दुरुपयोग – प्रेगाबालिन जैसी दवाओं का युवाओं में दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
- विदेशी फंडिंग व मुनाफाखोरी – ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दवाओं को आम वस्तु की तरह बेचकर सिर्फ मुनाफे के पीछे हैं और देशीय रोजगार को खत्म कर रहे हैं।
‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ से जोड़ा मुद्दा
AIOCD ने कहा कि यह सिर्फ कानून लागू करने का मामला नहीं है, बल्कि देश के स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा का प्रश्न है। संगठन ने अमित शाह के अभियान “Ek Yudh Nashe Ke Viruddh” से अपनी मांग को जोड़ते हुए कहा कि वे सरकार के साथ खड़े हैं।
AIOCD की मांगें
- शेड्यूल H/H1/X दवाओं की ऑनलाइन बिक्री और 10 मिनट डिलीवरी पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन करने वाली ई-फार्मेसी को बंद किया जाए।
- युवाओं को नशे के खतरे से बचाने के लिए कड़ा प्रवर्तन लागू किया जाए।
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