Malaria Vaccine: लोकसभा के हालिया सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्पष्ट किया कि सरकार ने फिलहाल भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में मलेरिया वैक्सीन को शामिल न करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि इस विषय पर एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसने विस्तृत समीक्षा के बाद कहा कि भारत वर्तमान में उन मानदंडों में फिट नहीं बैठता, जिनके आधार पर मलेरिया वैक्सीन (Malaria Vaccine) अपनाई जाती है।
विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मलेरिया वैक्सीन (Malaria Vaccine) मुख्यतः उन क्षेत्रों में उपयोगी मानी जाती है जहाँ मध्यम से अधिक संक्रमण दर पाई जाती है और बच्चों की मृत्यु दर मलेरिया से अधिक होती है। अफ्रीका के कई देशों में इस मानदंड के अनुसार वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि वहाँ मलेरिया अब भी बच्चों की जान लेने वाला बड़ा कारण है।
भारत में पिछले एक दशक में मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रमों और राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (NFME) के चलते संक्रमण दर में गिरावट आई है। इसी कारण समिति का मानना है कि फिलहाल वैक्सीन (Malaria Vaccine) अपनाना आवश्यक नहीं है।
Malaria Vaccine: सांसदों के सवाल
लोकसभा में सांसद सुधीर गुप्ता, धैर्यशील माने, मनीष जायसवाल और चव्हाण रविंद्र वसंतराव ने सरकार से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। इनमें शामिल थे –
- क्या R21/Matrix-M वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है?
- क्या इसे भारत में नियामक मंजूरी मिल चुकी है?
- अगर हाँ, तो इसे रोलआउट करने की समयसीमा क्या होगी?
- अगर नहीं, तो यह भारत में कब तक उपलब्ध हो सकती है?
- क्या यह वैक्सीन भारत के राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य (NFME) को पूरा करने में सहायक होगी?
- सरकार द्वारा इसे किफायती और बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?
सरकार का जवाब
इन सवालों का जवाब देते हुए स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत में मलेरिया वैक्सीन (Malaria Vaccine) के उपयोग पर गठित विशेषज्ञ समिति ने समीक्षा की है। समिति ने सिफारिश की कि भारत फिलहाल मलेरिया वैक्सीन अपनाने की श्रेणी में नहीं आता, क्योंकि ये वैक्सीन मुख्यतः उन क्षेत्रों के लिए अनुशंसित हैं जहाँ मलेरिया से बच्चों की मृत्यु का खतरा अधिक रहता है।
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Malaria Vaccine R21/Matrix-M की स्थिति
मलेरिया के खिलाफ दुनिया की पहली स्वीकृत वैक्सीन RTS,S थी, जिसे WHO ने 2021 में मंजूरी दी थी। इसके बाद दूसरी वैक्सीन R21/Matrix-M को मंजूरी मिली।
- R21/Matrix-M को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने विकसित किया और इसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII), पुणे ने बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार किया।
- इस वैक्सीन को 2023 में घाना और नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देशों में मंजूरी मिल चुकी है और वहाँ इसका उपयोग शुरू भी हो गया है।
- WHO ने भी 2023 में R21/Matrix-M को अनुशंसित सूची में शामिल कर दिया।
भारत की स्थिति – संक्रमण दर और जोखिम
भारत में मलेरिया के मामले पिछले वर्षों में लगातार घटे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में 2015 से 2022 के बीच मलेरिया मामलों में 85% से अधिक की कमी दर्ज की गई। वहीं, मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में अधिकतर मामले उत्तर-पूर्वी राज्यों, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश में केंद्रित हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जहाँ मलेरिया का बोझ कम है, वहाँ वैक्सीन की बजाय रोकथाम, मच्छर नियंत्रण, दवा और त्वरित उपचार अधिक कारगर हैं।
राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (NFME) और 2030 का लक्ष्य
भारत सरकार ने 2016 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (National Framework for Malaria Elimination – NFME) जारी किया था। इसके तहत लक्ष्य रखा गया है कि भारत वर्ष 2030 तक मलेरिया मुक्त हो जाएगा।
इस योजना के मुख्य स्तंभ हैं –
- रोकथाम पर फोकस – मच्छर नियंत्रण, कीटनाशक जाल का वितरण।
- निदान और त्वरित उपचार – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्टिंग और ACT जैसी आधुनिक दवाओं की उपलब्धता।
- निगरानी और रिपोर्टिंग – हर केस का सटीक डेटा संग्रह।
- समुदाय की भागीदारी – जागरूकता अभियान और पंचायत स्तर पर निगरानी।
सरकार की रणनीति – वैक्सीन से पहले रोकथाम
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देश में, जहाँ मलेरिया नियंत्रण में सफलता मिल रही है, वहाँ वैक्सीन (Malaria Vaccine) पर तुरंत निर्भर रहने के बजाय रोकथाम और इलाज की मौजूदा रणनीतियों को और मजबूत करना ज्यादा लाभकारी होगा। साथ ही, वैक्सीन (Malaria Vaccine) की लागत और बड़े पैमाने पर इसे लागू करने की जटिलता भी एक चुनौती है।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
हालाँकि भारत ने मलेरिया मामलों में कमी दर्ज की है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी हैं –
- आदिवासी और दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी।
- मौसमी बदलावों और जलवायु परिवर्तन के कारण मलेरिया के नए खतरे।
- सीमावर्ती राज्यों में उच्च संक्रमण दर।
भविष्य में यदि भारत में मलेरिया के मामले बढ़ते हैं या किसी क्षेत्र में संक्रमण दर गंभीर हो जाती है, तो वैक्सीन (Malaria Vaccine) को अपनाने पर सरकार दोबारा विचार कर सकती है।
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