IDF Diabetes Atlas 2025: अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज़ फेडरेशन (IDF) द्वारा जारी की गई डायबिटीज़ एटलस 11वें संस्करण (2025) के अनुसार, भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहाँ डायबिटीज़ का बोझ सबसे अधिक है।
यह रिपोर्ट विश्व डायबिटीज़ कांग्रेस के दौरान बैंकॉक, थाईलैंड में जारी की गई। आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत न केवल वर्तमान में इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित है, बल्कि आने वाले दशकों में यह स्थिति और गंभीर होने वाली है। यहां भारत की डायबिटीज़ स्थिति से जुड़े दस अहम तथ्य प्रस्तुत हैं:
हर सात में से एक डायबिटीज़ मरीज़ भारतीय
वर्ष 2024 में भारत में अनुमानित 89.8 मिलियन वयस्क (20–79 वर्ष आयु वर्ग) डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, जो वैश्विक आंकड़ों का सातवां हिस्सा है। चीन के बाद भारत दुनिया में सबसे ज्यादा डायबिटीज़ मरीज़ों वाला देश है।
2050 तक मरीज़ों की संख्या 156.7 मिलियन
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में डायबिटीज़ मरीज़ों की संख्या 2024 से 2050 तक 75% बढ़कर 156.7 मिलियन तक पहुँच जाएगी। इसके पीछे मुख्य कारण हैं – जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव।
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डायबिटीज़ के आधे से अधिक मामले बिना निदान के
रिपोर्ट के अनुसार भारत में डायबिटीज़ से पीड़ित 43% वयस्कों (लगभग 38.6 मिलियन लोग) को अपने रोग के बारे में जानकारी नहीं है। इसका मुख्य कारण है – स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच की कमी और प्रारंभिक जांच की अपर्याप्त व्यवस्था।
अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ
भारत में डायबिटीज़ पर प्रति व्यक्ति खर्च मात्र USD 109.5 (लगभग ₹9,000) है। फिर भी कुल राष्ट्रीय व्यय USD 9.8 बिलियन के पार पहुँच चुका है, जो सरकार और आम जनता दोनों पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है।
युवा वयस्कों में डायबिटीज़ की बढ़ती मार
20–79 वर्ष आयु वर्ग में डायबिटीज़ की प्रचलन दर 2024 में 10.5% थी, जो 2050 तक बढ़कर 12.8% हो जाएगी। यह दर्शाता है कि बीमारी अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, युवा भी बड़ी संख्या में प्रभावित हो रहे हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत का योगदान 80% से अधिक
2024 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 106.9 मिलियन डायबिटीज़ मरीज़ों में से 89.8 मिलियन भारत में थे। यह दर्शाता है कि भारत क्षेत्रीय डायबिटीज़ बोझ का 80% से अधिक वहन कर रहा है।
प्रकार 2 डायबिटीज़ के खतरे की चपेट में बड़ी आबादी
भारत में बड़ी संख्या में लोग ग्लूकोज असहिष्णुता (IGT – 13.9%) और उपवास ग्लूकोज गड़बड़ी (IFG – 11.7%) जैसी स्थितियों से ग्रसित हैं, जो उन्हें भविष्य में डायबिटीज़ का शिकार बना सकती हैं।
डायबिटीज़ से होने वाली मौतें और जटिलताएं बनीं गंभीर चुनौती
2024 में भारत में 3.34 लाख से अधिक डायबिटीज़ से संबंधित मौतें हुईं। समय पर निदान और उपचार से इन मौतों को रोका जा सकता था। टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में हृदय विफलता का खतरा 84% अधिक होता है।
टाइप 1 डायबिटीज़ में भी भारत दूसरे स्थान पर
2024 में भारत में टाइप 1 डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों की संख्या 9.41 लाख रही, जिनमें 3.01 लाख बच्चे और किशोर शामिल हैं। यह दर्शाता है कि इस बीमारी से निपटने के लिए विशेष जागरूकता और बाल स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है।
निदान क्षमता बढ़ाना और प्रारंभिक हस्तक्षेप जरूरी
रिपोर्ट में भारत को सलाह दी गई है कि वह स्क्रीनिंग सुविधाओं को सुलभ बनाए, डायग्नोस्टिक क्षमताओं को बढ़ाए और समय रहते इलाज की व्यवस्था करे। विशेष रूप से इसलिए क्योंकि भारत में डायबिटीज़ के बिना निदान वाले मामलों की संख्या भी विश्व में दूसरे नंबर पर है।
निष्कर्ष
भारत को डायबिटीज़ की इस महामारी से निपटने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है। समय पर जाँच, जन-जागरूकता, और उपचार की बेहतर व्यवस्था न केवल जीवन बचा सकती है बल्कि देश के स्वास्थ्य तंत्र को भी भारी बोझ से बचा सकती है।
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