Goa News: गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (GMCH) में एक डॉक्टर से बदसलूकी करने के मामले में सोमवार को माफी मांग ली। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि मैंने हीट ऑफ द मूमेंट में जिस तरह से स्थिति को हैंडल किया, उसका मुझे बहुत दुख है।
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री राणे ने 7 जून को GMCH का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने ड्यूटी पर तैनात डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर पर मरीजों के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया और सबके सामने फटकार लगाई। उन्होंने डॉक्टर को सस्पेंड करने का आदेश भी दे दिया था। हालांकि, गोवा सरकार (Goa News) ने सस्पेंशन वापस ले लिया है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें स्वास्थ्य मंत्री राणे ने डॉक्टर की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा था, ‘आप अपनी जुबान पर काबू रखना सीखिए, आप डॉक्टर हैं। मैं आमतौर पर अपना आपा नहीं खोता, लेकिन आपको मरीजों से ठीक से व्यवहार करना होगा।’
स्वास्थ्य मंत्री बोले- समाज में डॉक्टरों का दर्जा महान
स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर से माफी मांगते हुए अपने पोस्ट में लिखा, ‘हमारे समाज में डॉक्टरों का दर्जा पवित्र और महान है। वे लोगों की जान बचाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। मैंने अपने बात रखने के तरीके में गलती की होगी, लेकिन मेरा इरादा बस इतना था कि किसी भी मरीज को समय पर देखभाल मिलने में देरी न हो। इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है। मैं डॉक्टरों से अपील करता हूं कि वे उसी जुनून और प्रतिबद्धता के साथ ड्यूटी पर लौटें जिनके लिए उनका पेशा जाना जाता है। किसी भी गलतफहमी के कारण मरीजों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मंत्री की ‘स्टूडियो माफ़ी’ डॉक्टर ने ठुकराई
गोवा मेडिकल कॉलेज (Goa News) के सीनियर डॉक्टर डॉ. कुट्टीकर ने गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे की “स्टूडियो में दी गई माफ़ी” को सिरे से खारिज करते हुए 24 घंटे के भीतर उसी स्थान पर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की मांग की है, जहाँ मंत्री ने उन्हें अपमानित किया था।
डॉ. कुट्टीकर ने कहा कि मैंने मंत्री की वीडियो माफ़ी देखी, लेकिन वह सिर्फ़ एक स्टूडियो माफ़ी है। जैसे मेरा अपमान सबके सामने हुआ, वैसे ही माफ़ी भी सार्वजनिक रूप से होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हम हड़ताल करेंगे।
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डॉ. कुट्टीकर ने यह भी स्पष्ट किया कि शनिवार को जिस घटना के चलते यह विवाद शुरू हुआ, उसमें एक व्यक्ति इमरजेंसी वार्ड में आया और अपने रिश्तेदार को विटामिन B12 इंजेक्शन लगाने की मांग की। डॉक्टर ने बताया कि विटामिन B12 कोई आपातकालीन इंजेक्शन नहीं है। ऐसे मामलों के लिए ओपीडी या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना होता है। लेकिन आजकल मामूली केस भी इमरजेंसी वार्ड में लाए जाते हैं।
Goa News: मेडिकल समुदाय में भारी रोष
महाराष्ट्र सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (MSRDA) ने इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से जीएमसीएच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निलंबित करना डॉक्टरों के आत्मसम्मान पर गंभीर चोट है, भले ही बाद में वह निलंबन रद्द कर दिया गया हो।
एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि डॉक्टरों को प्रशासनिक विफलताओं के लिए बलि का बकरा बनाया जाना एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है और मंत्री को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में आकर माफ़ी मांगनी चाहिए।
एसोसिएशन ने डॉक्टरों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों की मांग करते हुए कहा कि निलंबन के लिए सख्त प्रोटोकॉल, शिकायत निवारण प्रणाली और राजनीतिक दबाव के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई जाए।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यह मामला सिर्फ़ एक प्रशासनिक भूल नहीं है, बल्कि यह इस खतरनाक प्रवृत्ति का प्रतीक है, जिसमें डॉक्टरों को राजनीतिक लाभ के लिए बलि का बकरा बनाया जाता है। यह घटना डॉक्टरों की सेवा भावना और पेशेवर गरिमा के साथ किया गया गंभीर अपमान है।
Goa News: IMA की भी तीखी प्रतिक्रिया
भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने भी इस घटना पर “गंभीर चिंता और निराशा” जताई है। IMA ने गोवा और झारखंड दोनों राज्यों में डॉक्टरों के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा की है और कहा कि इससे चिकित्सा प्रणाली में भय और अविश्वास का माहौल पैदा होता है।
आईएमए ने यह भी कहा कि चिकित्सक हमेशा मरीजों की सेवा को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन उनके साथ गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना भी आवश्यक है। जब जनप्रतिनिधि ही डॉक्टरों को अपमानित करते हैं, तो यह पूरी व्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत होता है।
IMA ने मांग की कि डॉक्टरों पर हिंसा या उत्पीड़न को गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाए और कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान हो। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टास्क फोर्स की सिफारिशों को सख्ती से लागू किया जाए। IMA ने कहा कि हम डॉक्टर अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटते, लेकिन हमारी सेवा का सम्मान, सुरक्षा और न्याय मिलना भी उतना ही आवश्यक है।
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