Dettol Controversy: डेटॉल ब्रांड की मालिक कंपनी रेकिट बेंकाइज़र ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया है कि उसने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर राज शमानी के साथ मानहानि के मामले में समझौता कर लिया है।
इस मामले में शमानी पर डेटॉल एंटिसेप्टिक लिक्विड को लेकर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप था। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वह त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजीत मारवाह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रखेगी।
Dettol Controversy: डॉ. मारवाह के बयान से उठा विवाद
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, 6 मई 2025 को रेकिट ने कोर्ट में कहा, “हमने इंफ्लुएंसर राज शमानी के साथ विवाद सुलझा लिया है। लेकिन डेटॉल के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण हम त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजीत मारवाह पर कार्रवाई जारी रखेंगे।”
कंपनी ने बताया कि कोर्ट के पूर्व आदेश के बाद डॉ. मारवाह ने आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का आश्वासन दिया था। हालांकि, इसके बाद नए सोशल मीडिया पोस्ट सामने आए हैं। रेकिट के वकील ने कहा, “मैंने मारवाह के वकील से बात की, जिसके बाद उसने कंटेंट हटा दिया, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह इसे दोबारा पोस्ट नहीं करेगी।”
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Dettol Controversy: मूल मामला
रेकिट द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे में राज शमानी, डॉ. मंजीत मारवाह और इंफ्लुएंसर ऋतिक चतुर्वेदी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 1 अप्रैल 2025 को एक पॉडकास्ट एपिसोड ‘स्किन मिस्टेक्स यू डिडंट नो! टैनिंग एंड सनबर्न एक्सपोज्ड’ में डेटॉल को लेकर “झूठे, भ्रामक और अपमानजनक” दावे किए। इसके बाद 5 अप्रैल को ‘नेवर यूज़ डेटॉल ऑन योर स्किन’ शीर्षक से एक इंस्टाग्राम रील भी अपलोड की गई, जिसे कंपनी ने आपत्तिजनक बताया।
समझौते की प्रक्रिया
मेडिकल डायलॉग्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने राज शमानी द्वारा यूट्यूब पॉडकास्ट के उस हिस्से को हटाने का आश्वासन दर्ज किया, जिसमें डेटॉल को लेकर आपत्तिजनक दावे किए गए थे। 8 अप्रैल को हुई सुनवाई में शमानी ने 90 सेकंड के उस हिस्से को हटाने पर सहमति जताई।
इसके बाद, जस्टिस सौरभ बनर्जी की अध्यक्षता में हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह संपादन 24 घंटे के भीतर किया जाए और मूल, अनएडिटेड कंटेंट को दोबारा अपलोड न किया जाए। समझौते की प्रक्रिया के तहत, डॉ. मारवाह और ऋतिक चतुर्वेदी ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से संबंधित इंस्टाग्राम रील को हटा दिया।
Dettol Controversy: कंपनी का पक्ष
रेकिट का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट चंदर एम. लाल ने कहा कि डेटॉल 1936 से भारत में एक मेडिकली लाइसेंस्ड एंटिसेप्टिक है और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत एक दवा के रूप में वर्गीकृत है। उन्होंने डॉ. मारवाह द्वारा किए गए दावों को “स्पष्ट रूप से झूठा और मानहानिकारक” बताया।
रेकिट ने यह भी आरोप लगाया कि वीडियो कंटेंट (Dettol Controversy) का उद्देश्य न केवल पॉडकास्ट की पहुंच बढ़ाना था, बल्कि संभवतः एक प्रतिस्पर्धी ब्रांड के प्रभाव में डॉ. मारवाह के डर्मेटोलॉजी क्लिनिक को बढ़ावा देना भी था।
अगली सुनवाई की प्रतीक्षा
जबकि राज शमानी ने रेकिट के साथ समझौता कर लिया है, डॉ. मारवाह के खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सिविल प्रोसीजर कोड के ऑर्डर 23 रूल 3 के तहत औपचारिक समझौता आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई में समझौता आवेदन की समीक्षा की जाएगी।
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