AIIMS Mangalagiri: ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) मंगलगिरि से रैगिंग का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
यहां पहले वर्ष के एक एमबीबीएस छात्र को उसके सीनियर छात्रों ने इतना मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया कि उसने खुदकुशी की कोशिश की। आरोप है कि 15 छात्रों में से 13 सीनियरों ने पीड़ित छात्र पर लड़कियों के साथ कथित दुर्व्यवहार और आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप लगाकर उसे परेशान किया।
संस्थान (AIIMS Mangalagiri) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। जांच में दोषी पाए गए छात्रों में से 3 को 1.5 साल के लिए, 4 को एक साल के लिए और 6 को छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है।
एम्स प्रशासन (AIIMS Mangalagiri) के मुताबिक, जूनियर छात्र ने 23 जून को इलाज के बाद ईमेल के जरिए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद संस्थान ने स्थानीय पुलिस और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को भी सूचित किया।
इस पूरे घटनाक्रम में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब एंटी-रैगिंग कमेटी के प्रमुख और डीन (अकादमिक्स) डॉ. स्रीमंता कुमार दास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि इस मामले में उनके बेटे का नाम भी सामने आया।
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AIIMS Mangalagiri: क्या हुआ था 22 जून को?
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 22 जून को अंडरग्रेजुएट बॉयज हॉस्टल में घटी। जहां कुछ सीनियर छात्रों ने तिरुपति से आए एक जूनियर छात्र को लड़कियों से गलत व्यवहार और आपत्तिजनक संदेश भेजने के आरोप में घेर लिया। इसके बाद उस छात्र के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से बदसलूकी की गई, जिससे वह टूट गया और खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। उसने अपनी कलाई काट ली, जिसके बाद साथियों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया। इलाज के बाद उसे एक घंटे में डिस्चार्ज कर दिया गया।
AIIMS दिल्ली की टीम ने की जांच
यूजीसी की सख्ती के बाद एम्स दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और रैगिंग की पुष्टि की। जांच के बाद 13 छात्रों को दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया।
संस्थान की प्रतिक्रिया
एम्स मंगलगिरि (AIIMS Mangalagiri) ने दोहराया है कि संस्थान में रैगिंग के लिए कोई जगह नहीं है और यह “जीरो टॉलरेंस” नीति पर कायम है। संस्थान ने कहा कि अंतिम जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे और भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
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