Bihar Health Society: पटना हाई कोर्ट ने बिहार हेल्थ सोसाइटी द्वारा जारी किए गए पैथोलॉजी सेवाओं के वर्क ऑर्डर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने अंतिम निर्णय आने तक इस मामले में कोई नई पहल करने से भी रोक लगा दी है।
टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता पर सवाल
बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 19 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के साथ पैथोलॉजी सेवाओं के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन पटना हाई कोर्ट ने पाया कि इस प्रक्रिया में जरूरी नियमों की अनदेखी की गई थी।
कोर्ट ने पाया कि हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को कंसोर्टियम के बिना ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है। इसी आधार पर कोर्ट ने बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी से जवाब मांगा है और इसके लिए एक हफ्ते का समय दिया है।
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टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप
बिहार में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी टेस्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत होते हैं। अक्टूबर 2024 में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने नई निविदा जारी की थी, लेकिन यह शुरुआत से ही विवादों में रही।
- पहले साइंस हाउस नामक कंपनी को सबसे कम बोली (L1) वाला घोषित किया गया।
- लेकिन बाद में यह पाया गया कि उसने अपनी वित्तीय निविदा में दो अलग-अलग दरें भरी थीं। इस आधार पर उसका दावा रद्द कर दिया गया।
- इसके बाद, दूसरे नंबर की कंपनी (हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब) को विजेता घोषित किया गया।
- लेकिन यह भी सामने आया कि ये दोनों कंपनियाँ टेंडर की तकनीकी शर्तों को पूरा नहीं करती थीं।
इसके बावजूद, बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 5 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को “लेटर ऑफ इंटेंट” जारी कर दिया और 11 नवंबर को इनके साथ एग्रीमेंट भी कर लिया।
हाई कोर्ट में दायर हुई याचिकाएं
इस निर्णय के खिलाफ साइंस हाउस ने पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर हिंदुस्तान वेलनेस को विजेता घोषित करने और उसके साथ एग्रीमेंट करने पर रोक लगाने की मांग की। इसके अलावा, पहले से काम कर रही कंपनी पीओसीटी ने भी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
24 जनवरी 2025 को, जस्टिस पी.बी. बजंतरी की बेंच ने बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी को आदेश दिया था कि इस मामले में कोई नई कंपनी को जिम्मेदारी न दी जाए और स्थिति यथावत रखी जाए। लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्देश की अनदेखी की, और हिंदुस्तान वेलनेस पहले की तरह अपना काम जारी रखी।
24 मार्च 2025 को जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस सुरेंद्र पांडे की बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि:
- हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब ने अभी तक कंसोर्टियम का गठन नहीं किया है।
- केवल निविदा भरते समय दोनों कंपनियों ने MOU साइन किया था।
- सरकारी वकील और कंपनियों के वकील भी स्वीकार कर चुके हैं कि कंसोर्टियम अब तक अस्तित्व में नहीं आया।
फैसला और आगे की सुनवाई
पटना हाई कोर्ट ने अपने ऑब्जर्वेशन में कहा कि इस मामले में जल्दबाजी में फैसला लिया गया है। इसलिए कोर्ट ने:
✔ कंसोर्टियम के साथ हुआ एग्रीमेंट तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
✔ सरकारी वकील को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
✔ अगली सुनवाई अप्रैल के पहले हफ्ते में होने की संभावना है।
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