Pharmacy Education: केंद्र की मोदी सरकार ने फार्मेसी के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई), जो फार्मेसी शिक्षा एवं पेशे की नियामक निकाय है, ने फार्मेसी शिक्षा के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करने, संस्थानों का निरीक्षण करने, पाठ्यक्रमों को मंजूरी देने और फार्मासिस्टों का केन्द्रीय रजिस्टर बनाए रखने जैसे कई सुधारात्मक प्रयास किए हैं।
फार्मेसी शिक्षा विनियमन, 2020 के तहत नए मानक लागू
पीसीआई के शिक्षा विनियमन, 2020 के अनुसार, डी.फार्मा पाठ्यक्रम के लिए स्टाफ और विद्यार्थियों का अनुपात सैद्धांतिक कक्षाओं में 1:60 और प्रायोगिक कक्षाओं में 1:20 से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार, बी.फार्मा पाठ्यक्रम के लिए यह अनुपात सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों कक्षाओं में 1:20 निर्धारित किया गया है।
आधार प्रमाणीकरण से पारदर्शिता में वृद्धि
फार्मेसी संस्थानों में पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जी पहचान को रोकने के लिए आधार प्रमाणीकरण प्रणाली को 23 नवंबर 2023 को अधिसूचित किया गया था। 21 मार्च 2025 को इसमें संशोधन कर इसे और अधिक प्रभावी बनाया गया। यह प्रणाली शिक्षकों, फार्मासिस्टों और पीसीआई के साथ पंजीकृत विद्यार्थियों की पहचान सत्यापित करने और संस्थानों की प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में सहायक होगी।
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फार्मासिस्टों के लिए एकल-खिड़की पंजीकरण प्रणाली
पीसीआई ने फार्मासिस्टों के लिए एक एकल-खिड़की पंजीकरण प्रणाली विकसित की है, जिसे छात्र पोर्टल से जोड़ा गया है। इस नई प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थी अपने चयनित राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण के लिए सीधे आवेदन कर सकते हैं, जिससे प्रक्रिया सरल और सुगम हो गई है।
औषधि सुरक्षा हेतु 72 फार्मा सह-सतर्कता केंद्र स्थापित
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने औषधि सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) के साथ मिलकर देशभर में 72 फार्मा सह-सतर्कता केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र दवाओं से जुड़ी सतर्कता को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
तकनीकी नवाचारों का समावेश
पीसीआई फार्मेसी संस्थानों की निरीक्षण प्रक्रिया में क्यूआर कोड प्रणाली लागू कर रहा है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी। इसके अलावा, भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के सहयोग से फार्मेसी शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन और रेटिंग प्रणाली को लागू किया जा रहा है।
इन सभी सुधारात्मक कदमों से भारत में फार्मेसी शिक्षा को और अधिक संगठित, पारदर्शी और गुणवत्ता-संपन्न बनाया जाएगा।
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