ICMR, NEDL 2025: अब देश के किसी भी कोने में रहने वाला मरीज, चाहे वह सुदूर गांव के उप-स्वास्थ्य केंद्र पर साधारण बुखार के इलाज के लिए जाए या जिला अस्पताल में गंभीर बीमारी की जांच कराने पहुंचे, उसे यह अधिकार होगा कि वह जरूरी जांच उसी स्तर पर प्राप्त कर सके।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने नेशनल एसेंशियल डायग्नोस्टिक लिस्ट (NEDL) 2025 का दूसरा संस्करण जारी कर दिया है, जिससे “एक देश, एक जांच नीति” को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिल रही है।
इस नई सूची के तहत पूरे देश की स्वास्थ्य प्रणाली के चारों स्तर स्वास्थ्य उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), और जिला अस्पताल/मेडिकल कॉलेज के लिए जांच सेवाओं की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की गई है। इसका उद्देश्य यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को हासिल करने के लिए चिकित्सा जांच में असमानता को कम करना है।
पहली बार जांच सेवाओं में एकरूपता
ICMR के अनुसार, अब तक देश में किसी भी रोग की जांच सेवाओं को लेकर कोई राष्ट्रीय मानक नहीं था। अलग-अलग राज्यों में विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग जांच की जाती थीं, जिससे न केवल भ्रम पैदा होता था बल्कि लाखों लोग जरूरी परीक्षणों से वंचित रह जाते थे। अब ICMR की यह सूची डॉक्टरों के लिए दिशा-निर्देश और मरीजों के लिए अधिकार पत्र के रूप में काम करेगी।
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि यदि कोई जांच NEDL में सूचीबद्ध है और उस स्तर पर प्रस्तावित है, तो मरीज को मना नहीं किया जा सकता।
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क्या है NEDL 2025 की खास बातें?
- सूची में 157 लैब परीक्षण और 29 इमेजिंग जांचें शामिल की गई हैं।
- सभी जांचों को 11 बीमारी समूहों में वर्गीकृत किया गया है — जैसे संक्रामक रोग, गैर-संक्रामक रोग (NCD), पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (जैसे डेंगू, चिकनगुनिया)।
- किशोरों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष जांच की व्यवस्था।
- गर्भवती महिलाओं व नवजातों की जांच को प्राथमिकता सूची में शामिल किया गया है।
- इस सूची को फ्री डायग्नोस्टिक सर्विस इनिशिएटिव (FDI) से जोड़ा गया है — यानी ये जांचें मरीजों को निशुल्क मिल सकेंगी।
स्वास्थ्य प्रणाली के हर स्तर पर तय जांचें
अब विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध कराई जाने वाली जांचों की रूपरेखा तय कर दी गई है:
स्वास्थ्य स्तर | जांच सेवाएं |
उप स्वास्थ्य केंद्र | हीमोग्लोबिन, यूरिन एनालिसिस, ब्लड ग्लूकोज, मलेरिया/डेंगू रैपिड टेस्ट, थायरॉयड प्रोफाइल, एलएफटी, माइक्रोस्कोपी |
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) | ब्लड शुगर, थायरॉइड, लिवर फंक्शन टेस्ट, HIV, टीबी परीक्षण |
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) | एक्स-रे, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, बेसिक कैंसर स्क्रीनिंग |
जिला अस्पताल / मेडिकल कॉलेज | सीटी स्कैन, एमआरआई, बायोप्सी, जेनेटिक टेस्ट, एडवांस कैंसर मार्कर |
इससे गांव स्तर पर भी अब रैपिड टेस्टिंग संभव होगी, जिससे रोग की प्रारंभिक पहचान आसान होगी और संक्रामक रोगों की प्रसार दर का अनुमान भी लगाया जा सकेगा।
राज्यों के लिए अनिवार्य होगा अनुपालन
हालांकि स्वास्थ्य विषय संविधान के अनुसार राज्यों के अधीन आता है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत शामिल किया है। यानी राज्यों को केंद्र से मिलने वाले वित्तीय प्रोत्साहन के लिए NEDL 2025 को अपनाना अनिवार्य होगा।
कई राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल और ओडिशा ने पहले से ही अपनी आवश्यक जांच सूची बनाई थी, लेकिन अब यह राष्ट्रीय सूची मानक स्वरूप में लागू होगी। इससे पूरे देश में समानता के साथ जांच सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
क्यों जरूरी है यह पहल?
भारत जैसे विविधता वाले देश में जहां स्वास्थ्य सेवाएं क्षेत्रीय असमानताओं से जूझ रही हैं, वहां एकीकृत और मानकीकृत डायग्नोस्टिक सूची मरीजों को न केवल समय पर जांच उपलब्ध कराएगी, बल्कि इलाज की दिशा भी स्पष्ट करेगी। इससे अनावश्यक रेफरल कम होंगे, खर्च घटेगा और इलाज की गुणवत्ता बेहतर होगी।
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