Army College: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाल ही में दिल्ली स्थित आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (Army College) को निर्देश दिया है कि वह 2022 बैच के एमबीबीएस इंटर्न्स को उनके इंटर्नशिप वजीफे का बकाया भुगतान करे। यह राशि 25,000 रुपये प्रति माह के हिसाब से तय की गई है।
सितंबर 2023 में शीर्ष अदालत ने कॉलेज (Army College ) को निर्देश दिया था कि अक्टूबर 2023 से सभी इंटर्न्स को 25,000 रुपये मासिक वजीफा दिया जाए। इसके बाद की तीन बैचों को यह भुगतान हुआ, लेकिन 2022 बैच, जिसने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और अपनी इंटर्नशिप पूरी भी कर ली थी, उन्हें अब तक बकाया राशि नहीं दी गई।
अदालत की कड़ी टिप्पणी – “वे इसका हक रखते हैं”
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की बेंच ने कॉलेज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम से पूछा कि करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी 2022 बैच को भुगतान क्यों नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, “वे इसका हक रखते हैं। आपने उनसे काम करवाया है, तो वजीफा देना ही होगा।”
छात्रों की दलील – सेवाएं दीं, लेकिन बकाया नहीं मिला
याचिकाकर्ता अभिषेक यादव की ओर से वकील ने कहा, “हमने अनिवार्य इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत अपनी सेवाएं दीं। अदालत के आदेश के बाद भी हमें कोई बकाया राशि नहीं दी गई।”
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने कॉलेज के रुख की आलोचना करते हुए कहा, “आप उनसे 18-19 घंटे काम कराते हैं और वजीफा नहीं देना चाहते?”
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कॉलेज की दलील – निजी सोसाइटी संचालित करती है
कॉलेज (Army College) की ओर से कहा गया कि यह एक निजी सोसाइटी द्वारा संचालित है और सरकारी फंडिंग नहीं मिलती। लेकिन अदालत ने साफ किया कि चूंकि छात्रों ने कॉलेज के लिए काम किया है, इसलिए उन्हें वजीफा मिलना ही चाहिए।
आठ हफ्ते में भुगतान का आदेश
बेंच ने रिकॉर्ड में दर्ज किया कि कॉलेज (Army College) सभी इंटर्न्स को, जिसमें 2022 बैच भी शामिल है, 25,000 रुपये मासिक वजीफा देगा। अदालत ने आदेश दिया कि 2022 बैच के इंटर्न्स का बकाया आठ हफ्ते में चुकाया जाए।
विदेशी मेडिकल स्नातकों का मामला भी जल्द सुना जाएगा
अधिवक्ता तन्वी दुबे ने अदालत का ध्यान विदेशी मेडिकल स्नातकों की स्थिति पर भी दिलाया और कहा कि वजीफा न देना ‘बंधुआ मजदूरी’ जैसा है। अदालत ने इस मुद्दे को भी जल्द अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
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