RTI: देशभर के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की भारी मेहनत और सेवा के बावजूद, उन्हें उचित स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा हाल ही में आरटीआई (RTI) आवेदनों के जवाब में दिए गए विवरण से यह सामने आया है कि भारत के 60 मेडिकल कॉलेज MBBS इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों को कोई स्टाइपेंड नहीं दे रहे हैं, जबकि कुछ संस्थान नाममात्र की राशि मात्र ₹2000 से ₹7000 प्रतिमाह भुगतान कर रहे हैं।
डॉ. बाबू द्वारा दायर एक RTI के जवाब में, NMC ने 29 अप्रैल, 2025 को उन साठ मेडिकल कॉलेजों की सूची प्रदान की है जो इंटर्न को कोई स्टाइपेंड नहीं देते हैं। इस सूची में 33 सरकारी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं, जिनमें कर्नाटक के 6, महाराष्ट्र के 6, आंध्र प्रदेश के 4, असम के 2, तेलंगाना के 2, पश्चिम बंगाल के 6, गुजरात के 3 और उत्तर प्रदेश के 3 मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
इसके अलावा, सूची में गुजरात (4), कर्नाटक (4), महाराष्ट्र (1), केरल (1), पश्चिम बंगाल (1), मध्य प्रदेश (2), तमिलनाडु (3), आंध्र प्रदेश (4), दिल्ली (2) आदि के 27 निजी मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं।
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RTI: स्टाइपेंड का भुगतान न करने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सूची
- गवर्नमेंट सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, ओंगोल (पहले राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, ओंगोल के नाम से जाना जाता था)
- कोकराझार मेडिकल कॉलेज
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, मोरबी
- जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, राजपीपला
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जम्मू
- ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन – [AIIPMR], मुंबई
- मांड्या इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
- शिमोगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, शिमोगा
- हावेरी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हावेरी
- सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज, और केईएम हॉस्पिटल, मुंबई
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, उस्मानाबाद
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जगतियाल
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, संगारेड्डी
- जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज
- ताम्रलिप्तो गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल
- रामपुरहाट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, रामपुरहाट
- होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
- श्री अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु
- रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (पहले नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी)
- भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई
- इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, बेंगलुरु
- कमांड हॉस्पिटल, ईस्टर्न कमांड कोलकाता
- कमांड हॉस्पिटल एयर फोर्स, बेंगलुरु
- गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल विजयवाड़ा
- स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन
- नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज, नलबाड़ी असम
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज उस्मानाबाद, धाराशिव
- श्रीमती जी.आर. दोषी और श्रीमती के.एम. मेहता इंस्टिट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर, डॉ. एच.एल. त्रिवेदी इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसप्लांटेशन साइंसेज, अहमदाबाद, गुजरात
- पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, नोएडा (पहले सुपर स्पेशलिटी पीडियाट्रिक हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग इंस्टिट्यूट के नाम से जाना जाता था)
- संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ
- आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, सोलापुर रोड, पुणे
- एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन मेडिकल कॉलेज, जोका, कोलकाता
RTI: स्टाइपेंड का भुगतान न करने वाले निजी मेडिकल कॉलेजों की सूची
- महाराजा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, विजयनगरम
- श्री बालाजी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस
- एसबीकेएस मेडिकल इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, वडोदरा
- जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, जूनागढ़
- महर्षि मार्कंडेश्वर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, मुल्लाना, अंबाला
- महादेवप्पा रामपुरम मेडिकल कॉलेज, कलाबुरागी, गुलबर्गा
- राजराजेश्वरी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, बेंगलुरु
- सिद्धगंगा मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, तुमकुरु
- जगदगुरु गंगाधर महास्वामीगलु मूरुसाविमठ मेडिकल कॉलेज
- अजीजिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, मीयनूर, कोल्लम
- रुक्मणीबेन दीपचंद गर्दी मेडिकल कॉलेज, उज्जैन (आरडीजी)
- महावीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, भोपाल
- केएमसीएच इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज एंड रिसर्च, कोयंबटूर
- धनलक्ष्मी श्रीनिवासन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पेरम्बलुर
- मेलमारुवथुर आदिपराशक्ति इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च
- आयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, टीचिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कनका मामिडी, आर.आर. जिला
- डॉ. वीआरके महिला मेडिकल कॉलेज, अजीजनगर
- शादान इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रिसर्च सेंटर, एंड टीचिंग हॉस्पिटल, पीरंचेरू
- नोएडा इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
- श्री जगन्नाथ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पुरी
- इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज, दिल्ली
- वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, दिल्ली
- महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर
- ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता
- डॉ. एन.डी. देसाई फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नाडियाड
- सिंधुदुर्ग शिक्षण प्रसारक मंडल मेडिकल कॉलेज एंड लाइफटाइम हॉस्पिटल, पादवे, सिंधुदुर्ग
- महात्मा गांधी स्मारक जनरल हॉस्पिटल, सुरेंद्रनगर
अन्य चौंकाने वाले तथ्य
NMC की RTI के अनुसार, देशभर के लगभग 50 कॉलेज ऐसे हैं जो ₹5000 से भी कम स्टाइपेंड दे रहे हैं, जो न केवल छात्रों के मेहनत और खर्चों के प्रति अन्यायपूर्ण है बल्कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य और पेशेवर आत्म-सम्मान पर भी गंभीर असर डाल सकता है।
2 अप्रैल, 2025 को डॉ. बाबू ने दायर एक अन्य RTI में उन कॉलेजों के नाम और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी जिन्होंने 2023-24 के लिए स्टाइपेंड संबंधी डेटा NMC को नहीं सौंपा था। जवाब में, आयोग ने बताया कि 753 मेडिकल कॉलेजों में से केवल 555 कॉलेजों ने ही अपना स्टाइपेंड डेटा प्रस्तुत किया था, जबकि 198 कॉलेज (115 सरकारी और 83 निजी) ने ऐसा नहीं किया।
कार्रवाई के नाम पर ‘राज्यों की जिम्मेदारी’ कहकर पल्ला झाड़ रहा NMC
जब RTI में यह पूछा गया कि जिन कॉलेजों ने स्टाइपेंड का भुगतान नहीं किया या डेटा नहीं सौंपा, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, तो NMC ने कहा कि कार्रवाई की जिम्मेदारी संबंधित राज्य अधिकारियों की है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि NMC खुद भी नियामक संस्था होने के नाते सख्त कदम उठा सकता है।
डॉ. बाबू का कहना है कि यह NMC की विफलता है कि वह अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर टाल रहा है, जबकि नियम स्पष्ट रूप से उसे कार्रवाई करने की अनुमति देते हैं। उन्होंने यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचाया है और स्वास्थ्य मंत्री से NMC अधिनियम की धारा 45 के तहत कार्रवाई की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और NMC की निष्क्रियता
NMC ने खुद माना है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही स्टाइपेंड डेटा जुटाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। बावजूद इसके, आयोग ने जिन कॉलेजों ने नियमों का उल्लंघन किया है, उनके खिलाफ अब तक कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। नवंबर 2024 में NMC ने 198 कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बाद की कोई कार्रवाई सामने नहीं आई।
विशेषज्ञों की चिंता और मांग
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टर संगठनों का कहना है कि इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों को उचित स्टाइपेंड न मिलना न केवल उनके पेशेवर जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि इससे देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली भी कमजोर होती है। छात्रों को फुल टाइम ड्यूटी करवाना और उचित पारिश्रमिक न देना शोषण की श्रेणी में आता है।
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