Newborn Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने नवजात शिशुओं की अस्पतालों से तस्करी के मामलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए स्पष्ट किया है कि यदि किसी अस्पताल से नवजात शिशु की तस्करी होती है, तो उस अस्पताल का लाइसेंस तत्काल निलंबित किया जाए।
इसके साथ-साथ अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जाए। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस गंभीर मुद्दे (Newborn Trafficking) पर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में किसी भी प्रकार की न्यायिक ढिलाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बाल तस्करी से जुड़े कई आरोपियों को दी गई जमानत को रद्द करते हुए कहा कि ऐसी ढिलाई न्यायिक प्रणाली की साख पर सवाल खड़ा करती है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि उसके निर्देशों का पालन न करना अवमानना के रूप में देखा जाएगा।
Newborn Trafficking: अस्पतालों की जिम्मेदारी बढ़ी
कोर्ट ने कहा, “यदि किसी अस्पताल से कोई नवजात शिशु तस्करी (Newborn Trafficking) का शिकार होता है, तो अस्पताल प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उस बच्चे की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे। इस मामले में अस्पताल की लापरवाही माफी के योग्य नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की सभी हाईकोर्टों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बाल तस्करी (Newborn Trafficking) से जुड़े लंबित मामलों की स्थिति का विवरण मंगवाएं और ट्रायल कोर्ट को आदेश जारी करें कि सभी मुकदमों का निपटारा छह महीने के भीतर किया जाए, आवश्यकता पड़ने पर रोजाना सुनवाई के आधार पर।
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हाईकोर्टों को कार्रवाई के निर्देश
कोर्ट ने कहा, “हर हाईकोर्ट एक रिपोर्ट तैयार कर सर्वोच्च न्यायालय को सौंपे, जिसमें यह स्पष्ट हो कि हमारे निर्देशों का पालन हुआ या नहीं। यदि कोई चूक पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।”
माता-पिता से सतर्क रहने की अपील
शीर्ष अदालत ने भारत के सभी माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों को लेकर सतर्क और जागरूक रहें। कोर्ट ने कहा, “एक छोटी सी लापरवाही उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बन सकती है। बच्चे की मृत्यु का दुख समय के साथ स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन यदि बच्चा गायब हो जाए और कभी न मिले, तो यह दर्द आजीवन बना रहता है। यह मृत्यु से भी अधिक भयावह होता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे नई दिल्ली स्थित भारतीय अनुसंधान और विकास संस्थान (BIRD) की मानव तस्करी पर आधारित रिपोर्ट का अध्ययन करें और उसमें दी गई सिफारिशों को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
कोर्ट ने “टाइम्स ऑफ इंडिया” में 14 अप्रैल को प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली और उसके आसपास एक बड़ा गिरोह सक्रिय है जो नवजात शिशुओं और बच्चों को 5 से 10 लाख रुपये में विभिन्न राज्यों में बेच रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह गिरोह मोबाइल फोन के माध्यम से फोटो, लोकेशन और पैसा साझा करता है, जिससे साफ है कि वे तकनीक का अच्छा इस्तेमाल करते हुए संगठित रूप से काम कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर 2025 में करेगा, जिसमें अब तक हुए निर्देशों के पालन की समीक्षा की जाएगी।
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