Dr Lal Pathlabs: दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (State Consumer Disputes Redressal Commission) ने डॉ लाल पैथलैब्स को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 3.5 लाख रुपये का मुआवजा एक मरीज को देने का आदेश दिया है।
यह मामला एक गलत मेडिकल रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसने मरीज को जानलेवा स्थिति में डाल दिया और आपातकालीन अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
मामला तब सामने आया जब डॉ लाल पैथलैब्स द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में मरीज का यूरिया का स्तर सामान्य से 10 गुना अधिक बताया गया। इस रिपोर्ट के चलते मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बाद में तीन अन्य प्रमुख लैब्स मैक्स हेल्थकेयर, डॉ डैंग्स लैब और सुपर रिलायगियर लैब्स से कराई गई जांच में मरीज की रिपोर्ट सामान्य पाई गई।
Dr Lal Pathlabs की दलीलों को कोर्ट ने किया खारिज
डॉ लाल पैथलैब्स (Dr Lal Pathlabs) की ओर से यह तर्क दिया गया कि मरीज किसी दवा (Spirex टैबलेट) का सेवन कर रहा था, जिससे रिपोर्ट प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इतना बड़ा अंतर केवल दवा से संभव नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि मरीज पर रिपोर्ट दोबारा कराने की कोई बाध्यता नहीं थी।
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न्यायालय की टिप्पणी
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि जब किसी लैब (Dr Lal Pathlabs) की रिपोर्ट इतनी भयावह हो कि सामान्य व्यक्ति भी विचलित हो जाए, तो वह रिपोर्ट ही मरीज की मानसिक और शारीरिक पीड़ा का कारण बनती है। गलत रिपोर्ट के आधार पर गलत इलाज हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
मानसिक पीड़ा और खर्च के लिए उचित मुआवजा
आयोग की अध्यक्ष संगीता धींगरा सहगल और न्यायिक सदस्य पिंकी ने मरीज द्वारा खर्च की गई चिकित्सा राशि को आयोग ने लैब की गलती से जुड़ा माना। आयोग ने कहा कि ऐसी स्थिति में हुए मानसिक तनाव और तकलीफ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ रिपोर्ट देने वाली संस्था होने का दावा कर लैब अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
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