पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक (DGHS) मनीष बंसल के खिलाफ कोर्ट आदेश की अवहेलना करने पर अवमानना के आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने यह कार्रवाई दो लैब टेक्नीशियनों की वेतनमान संबंधी याचिका पर आदेश की अनदेखी करने के चलते की है।
न्यायमूर्ति हरकेश मनुजा की एकल पीठ ने अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 और 12 के तहत कार्रवाई करते हुए कहा कि वास्तव में प्रतिवादी का यह जानबूझकर किया गया आचरण और बाधा उत्पन्न करने वाला व्यवहार, अदालत के आदेश के वास्तविक उद्देश्य को निष्फल करने की कोशिश है।
अगर कोर्ट मनीष बंसल को दोषी पाता है, तो उन्हें ₹2000 तक जुर्माना या छह महीने की जेल, या दोनों सजा हो सकती है। यह आदेश 4 अप्रैल को कोर्ट में पारित हुआ, जहां DGHS मनीष बंसल स्वयं उपस्थित थे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य की अपील खारिज की थी
जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता सुमन वर्मा और बुशन लाल दोनों लैब टेक्नीशियन की ओर से पेश वकील ने बताया कि अप्रैल 2024 में हाईकोर्ट ने उनके वेतनमान की मांग पर विचार करने के निर्देश दिए थे और याचिका निपटा दी थी। लेकिन अधिकारियों ने आदेश का अनुपालन नहीं किया, जिसके चलते अगस्त 2024 में अवमानना याचिका दाखिल की गई।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भी 2022 के हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए राज्य की अपील को खारिज कर दिया था, लेकिन उसके बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया।
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कोर्ट ने माना – “स्पष्ट और जानबूझी अवहेलना”
हाईकोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा कि यह एक स्पष्ट मामला है जहाँ प्रतिवादी पक्ष भेदभावपूर्ण, मनमाना और चुनिंदा ढंग से कार्य कर रहा है तथा कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवहेलना कर रहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को राजेश कुमार मामले (2022) की तर्ज़ पर वेतन समानता का लाभ मिलना चाहिए था, क्योंकि दोनों मामले समान प्रकृति के हैं। लेकिन अधिकारियों ने न तो पुराने आदेश का पालन किया और न ही याचिकाकर्ताओं के अलग से दिए गए निवेदन को गंभीरता से लिया।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सुमन वर्मा दिव्यांग (Person with Disability) हैं, जिस कारण उनके मामले में विशेष संवेदनशीलता अपेक्षित थी।
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