AYUSH: आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH) को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए ‘आयुष चेयर कार्यक्रम’ चलाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में AYUSH चेयर स्थापित की जा रही हैं, ताकि शैक्षणिक सहयोग, अनुसंधान और जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सके।
फिलहाल यह चेयर बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, लातविया और मलेशिया जैसे देशों में स्थापित की जा चुकी हैं। इन चेयर के माध्यम से न सिर्फ शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं, बल्कि आयुष के प्रचार-प्रसार हेतु कार्यशालाओं और सार्वजनिक व्याख्यानों का भी आयोजन किया जा रहा है।
उद्देश्य और गतिविधियाँ
इस पहल के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- आयुष चिकित्सा प्रणालियों पर आधारित शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों का संचालन।
- कोर्स की रूपरेखा और पाठ्यक्रम का विकास।
- व्याख्यान, प्रायोगिक सत्र और संगोष्ठियों में भागीदारी।
- सहयोगात्मक अनुसंधान की संभावनाओं का पता लगाना।
- मेज़बान देश और आस-पास के क्षेत्रों में आयुष प्रणालियों की जानकारी का स्रोत बनना।
- संबंधित विश्वविद्यालय, भारतीय दूतावास और आयुष मंत्रालय के बीच समन्वय।
- कम-से-कम साल में दो सार्वजनिक व्याख्यान आयोजित करना।
50 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग
आयुष मंत्रालय ने अब तक 50 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ संस्थागत समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इन संस्थानों में अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इजराइल, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अर्जेंटीना, रूस, सऊदी अरब, थाईलैंड, फ्रांस, इटली, दक्षिण अफ्रीका, और चेक गणराज्य जैसे देश शामिल हैं।
प्रमुख समझौते:
- अमेरिका की मिसिसिपी यूनिवर्सिटी, नेशनल सेंटर फॉर नेचुरल प्रोडक्ट्स रिसर्च के साथ पारंपरिक चिकित्सा पर अनुसंधान।
- यूनाइटेड किंगडम के रॉयल लंदन हॉस्पिटल के साथ होम्योपैथी में सहयोग।
- ऑस्ट्रेलिया की वेस्टरन सिडनी यूनिवर्सिटी के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनुसंधान।
- जापान, इज़राइल, ब्राज़ील और कनाडा सहित कई देशों में शैक्षणिक आदान-प्रदान।
प्रभाव मूल्यांकन
आयुष चेयर की प्रभावशीलता का आकलन मासिक गतिविधि रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है। यह रिपोर्ट संबंधित चेयर से प्राप्त की जाती है और इसके अनुसार आगे की रणनीति तय की जाती है।
निष्कर्ष:
आयुष चेयर कार्यक्रम न केवल भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिला रहा है, बल्कि यह भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ डिप्लोमेसी को भी मजबूती प्रदान कर रहा है। आने वाले समय में यह पहल निस्संदेह विश्व स्वास्थ्य परिदृश्य में भारत की भूमिका को और व्यापक बनाएगी।
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