Ayush: आयुष मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुष के प्रचार-प्रसार के लिए “अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना” (Central Sector Scheme for Promotion of International Cooperation for AYUSH) चला रहा है।
इस योजना के तहत आयुष मंत्रालय भारतीय आयुष दवा निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं को सहयोग प्रदान करता है ताकि आयुष उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।
मंत्रालय का उद्देश्य विश्व स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों का प्रचार, विकास और मान्यता देना, वैश्विक स्तर पर संबंधित हितधारकों के साथ संवाद को प्रोत्साहन देना, आयुष बाजार का विकास करना और विदेशी देशों में आयुष शैक्षणिक कुर्सियों की स्थापना, प्रशिक्षण कार्यशालाएं, संगोष्ठियों का आयोजन कर जागरूकता फैलाना है।
अब तक 24 देशों के साथ समझौते
आयुष मंत्रालय ने अब तक 24 देशों के साथ सरकार-से-सरकार स्तर पर समझौता ज्ञापन (MoUs) और 51 संस्थान-से-संस्थान स्तर पर समझौते किए हैं। इनका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को मजबूती प्रदान करना है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ₹161 करोड़ का खर्च
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2014 में 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में घोषित किया था। तब से हर वर्ष योग दिवस का सफल आयोजन किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार, अब तक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY) के प्रचार-प्रसार पर लगभग ₹161 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। हर वर्ष IDY में दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
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योग को स्कूली शिक्षा में मिला स्थान
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के अनुसार योग को स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न हिस्सा माना गया है। कक्षा 1 से 10 तक यह अनिवार्य विषय है जबकि कक्षा 11 और 12 में यह वैकल्पिक है। एनसीईआरटी (NCERT) ने कक्षा 1 से 10 तक स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा का एकीकृत पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है, जो www.ncert.nic.in पर उपलब्ध है। इसके अलावा, 8 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए दो योग मॉड्यूल और पुस्तकें भी प्रकाशित की गई हैं।
योग प्रमाणन बोर्ड कर रहा है मानकीकरण का कार्य
योग प्रमाणन बोर्ड (YCB), जो कि आयुष मंत्रालय के अधीन है, योग प्रशिक्षकों के लिए प्रमाणन और संस्थानों की मान्यता का कार्य करता है। यह विभिन्न स्तरों के योग प्रशिक्षकों के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करता है और योग को एक व्यावसायिक कौशल के रूप में बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता और मानक सुनिश्चित करता है।
आयुष मंत्रालय की यह पहल भारतीय पारंपरिक चिकित्सा और योग को विश्व पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
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