इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन और सहारनपुर के चार मेडिकल कॉलेजों में लागू आरक्षण प्रणाली को रद्द कर दिया है। यह फैसला जस्टिस पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता साबरा अहमद की याचिका को स्वीकार करते हुए सुनाया।
साबरा अहमद ने याचिका में दावा किया कि चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 50% की मान्य आरक्षण सीमा को पार कर 79% से अधिक आरक्षण लागू किया गया। याचिकाकर्ता ने NEET-2025 परीक्षा में भाग लिया था और 523 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 29061 हासिल की थी।
आरक्षण अधिनियम और सीट मैट्रिक्स
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2006 में “उत्तर प्रदेश शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम” बनाया था। इसके तहत चार मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण के लिए एक सीट मैट्रिक्स जारी किया गया था।
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- कुल सीटें: 340
- SC: 248
- ST: 20
- OBC: 44
- जनरल: 28
- प्रत्येक कॉलेज में 85 सीटें:
- SC: 62
- ST: 5
- OBC: 11
- जनरल: 7
सुप्रीम कोर्ट को दी गई दलील
याचिकाकर्ता के वकील मोती लाल यादव ने कहा कि केंद्र से स्पेशल ग्रांट प्राप्त करने के बावजूद 50% आरक्षण की सीमा को दरकिनार कर 79% से अधिक सीटें रिज़र्व की गई। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा जारी 2007 से 2015 तक के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई आरक्षण व्यवस्था अधिनियम, 2006 और केंद्र सरकार के निर्देशों के खिलाफ है।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि आरक्षण 50% की सीमा का स्पष्ट उल्लंघन है और बिना किसी वैध कानूनी प्राधिकरण के इसे लागू करना न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील स्वीकार करते हुए यूपी सरकार द्वारा लागू विशेष आरक्षण प्रणाली को रद्द कर दिया।
सीटें फिर से भरी जाएंगी
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि चारों मेडिकल कॉलेजों की सीटें पुनः भरी जाएं, जिसमें आरक्षण अधिनियम, 2006 और केंद्र व राज्य सरकार की सीटों के आरक्षण का पालन किया जाए। कोर्ट ने कहा कि यदि सीटें पहले ही भरी जा चुकी हैं तो उन्हें फिर से आरक्षण अधिनियम के अनुसार भरना होगा।
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