RTI on Clinical Trial: क्लिनिकल ट्रायल्स में भारत में 2021 से जुलाई 2025 तक 1,705 लोगों की मौत हुई और 7,189 गंभीर दुष्प्रभाव (Serious Adverse Events – SAE) दर्ज किए गए, जो हर दिन औसतन एक व्यक्ति की मौत और चार अन्य लोगों को जानलेवा जटिलताओं का सामना करने के बराबर है। यह जानकारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने RTI के जरिए जारी की।
CDSCO ने यह जानकारी एक RTI के जवाब में साझा की थी, जिसमें शुरुआती तौर पर हैदराबाद और तेलंगाना में SAE से संबंधित डेटा मांगा गया था। हालांकि, संगठन ने राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े उपलब्ध कराए।
देशव्यापी आंकड़े जारी
CDSCO के मुताबिक, 2021 से जुलाई 2025 तक देशभर में क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान 1,705 प्रतिभागियों की SAE के कारण मौत हुई। इसी अवधि में 7,189 गैर-घातक SAE के मामले सामने आए, यानी हर दिन औसतन 4.2 लोगों को जानलेवा दुष्प्रभाव झेलने पड़े।
2025 में मौतों का आंकड़ा
RTI के अनुसार, केवल इस वर्ष, जनवरी से जुलाई 2025 के बीच, 232 क्लिनिकल ट्रायल प्रतिभागियों की मौत हुई। इनमें ऐसे लोग शामिल थे, जो उपचार के लिए ट्रायल में शामिल हुए थे या स्वयंसेवक के रूप में हिस्सा ले रहे थे।
मेडिकल डायलॉग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 33 वर्षीय एक व्यक्ति की जालाहल्ली में अपने भाई के घर पर मौत हो गई, जो R&D कंपनी द्वारा आयोजित एक क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा था।
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मुआवजा मामले में गंभीर कमी
दक्षिण भारत के मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उच्च मौतों के बावजूद मुआवजा बहुत कम ही दिया जाता है। केवल कुछ ही मौतों में मुआवजा मिलता है, क्योंकि इसे तभी लागू किया जाता है जब यह साबित किया जा सके कि मौत शोध प्रयोग में भाग लेने के कारण हुई।
CDSCO ने बताया कि 2021 से जुलाई 2025 तक हुई 1,705 SAE मौतों में केवल 68 प्रतिभागियों को कानून के अनुसार मुआवजा मिला।
हैदराबाद और तेलंगाना के आंकड़ों पर रोक
CDSCO ने यह भी स्पष्ट किया कि हैदराबाद और तेलंगाना में CROs, अस्पतालों या किसी विशेष दवा या फॉर्मुलेशन से जुड़ी SAE या मौतों की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। संगठन ने RTI एक्ट की धारा 8(1)(e) का हवाला देते हुए कहा कि यह जानकारी विश्वसनीय संबंध (fiduciary relationship) में उपलब्ध है और सार्वजनिक हित के लिए खुलासा नहीं किया जा सकता।
कंपनियों या अस्पतालों पर कोई उल्लंघन नहीं
संगठन ने हैदराबाद और तेलंगाना में पिछले पांच वर्षों में कंपनियों, CROs या अस्पतालों द्वारा किसी भी उल्लंघन की जानकारी न होने की बात भी कही।
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