दिल्ली पुलिस ने फार्मास्युटिकल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) विक्की रमांचा के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका स्थित अश्योर ग्लोबल LLC को ओज़ेम्पिक (Ozempic) दवा की सप्लाई के नाम पर 180 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि रमांचा ने अश्योर ग्लोबल को यह विश्वास दिलाया कि उनके भारत में राजनीतिक और सरकारी संपर्क हैं। इसी आधार पर उन्होंने अमेरिकी कंपनी से करार किया।
समझौता और दवा की वास्तविकता
जुलाई 2023 में रमांचा की सहायक कंपनी आर एंड आर ग्लोबल प्रोक्योरमेंट कॉर्पोरेशन ने अश्योर ग्लोबल से 1.25 लाख डोज़ ओज़ेम्पिक सप्लाई का समझौता किया था।
रमांचा ने दावा किया कि यह दवाएं चीन से लाई जाएंगी। जबकि ओज़ेम्पिक (इंजेक्टेबल सेमाग्लुटाइड), जो टाइप-2 डायबिटीज़ के लिए दी जाती है, का निर्माण केवल नोवो नॉर्डिस्क कंपनी डेनमार्क में करती है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई FIR
अश्योर ग्लोबल ने अगस्त 2024 में दिल्ली पुलिस में शिकायत दी थी, लेकिन कार्रवाई न होने पर कंपनी ने अधिवक्ता नमित सक्सेना के माध्यम से पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
29 मई 2025 को अदालत ने 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद 3 जून को पुलिस ने रमांचा के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 120B (आपराधिक साज़िश) के तहत मामला दर्ज किया।
अदालत से मिली राहत
- रमांचा ने खुद को एनआरआई (NRI) बताते हुए एफआईआर रद्द कराने की कोशिश की, लेकिन उनकी अर्जी खारिज हो गई।
- 11 अगस्त को उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह लालेर ने खारिज कर दी।
- दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने मुख्य आरोपी कारोबारी विक्की रमांचा को राहत देते हुए आदेश दिया कि 22 सितंबर तक रमांचा के खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई नहीं की जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि रमांचा जांच में सहयोग करें और 25 अगस्त को जांच अधिकारी के समक्ष पेश हों।
156 करोड़ की फर्जी पेमेंट
एफआईआर के मुताबिक, 13 सितंबर से 15 दिसंबर 2023 के बीच अश्योर ग्लोबल ने रमांचा की कंपनियों को सात किस्तों में 18.83 मिलियन डॉलर (करीब 156 करोड़ रुपये) का भुगतान किया।
- 20,000 डोज़ की पहली खेप कभी नहीं पहुंची।
- जांचकर्ताओं के अनुसार, रमांचा ने फर्जी कॉन्ट्रैक्ट, री-लेबल की गई दवाओं और पटियाला हाउस कोर्ट से नोटराइज्ड दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी को वैध दिखाने की कोशिश की।
बदलते पते और फर्जी दस्तावेज़
रमांचा के मुंबई (गोरगांव पश्चिम) पते पर भेजे गए कई समन वापस लौट आए। पुलिस ने पाया कि वह अदालत में दाखिल दस्तावेज़ों में भी अपना पता बदलते रहे।
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बताया कि उन्होंने नोटराइज्ड दस्तावेज़ों का दुरुपयोग कर फर्जी समझौते तैयार किए।
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