Medical Negligence: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में लोकसभा को बताया कि देश में दायर मेडिकल लापरवाही के मामलों का डेटा केंद्र स्तर पर नहीं रखा जाता है।
लोकसभा में डॉ. शोभा दिनेश बच्छाव ने प्रश्न पूछते हुए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अनुसार पिछले दस वर्षों में हुई मेडिकल लापरवाही (Medical Negligence) से जान जाने या अन्य शारीरिक अक्षमता/विकार होने के मामलों की संख्या जाननी चाही।
उन्होंने यह भी पूछा कि इन मामलों में कितने प्रतिशत में दोषसिद्धि हुई और कितने डॉक्टरों को पेशेवर कदाचार के लिए दोषी ठहराया गया। साथ ही, क्या केंद्र सरकार राज्यों को ऐसा डेटा बनाए रखने के निर्देश देने और इसे केंद्रीय स्तर पर संकलित करने की योजना बना रही है, ताकि मेडिकल लापरवाही (Medical Negligence) के मामलों में कमी लाई जा सके।
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Medical Negligence: कड़े दिशा-निर्देश बनाने पर भी सवाल
डॉ. दिनेश ने यह भी पूछा कि मेडिकल लापरवाही के मामलों की जांच प्रक्रिया से जुड़े नियम-कायदों का विवरण और इस मुद्दे पर कड़े दिशा-निर्देश बनाने का कोई प्रस्ताव है या नहीं।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्पष्ट किया कि नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट, 2019 के तहत राज्य चिकित्सा परिषद (SMC) और एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (EMRB) को पंजीकृत चिकित्सकों के पेशेवर या नैतिक कदाचार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि कार्रवाई से पहले पंजीकृत चिकित्सा प्रैक्टिशनर (RMP) को सुनवाई का अवसर दिया जाता है। SMC/EMRB के निर्णय के खिलाफ अपील का भी प्रावधान है।
Medical Negligence: डेटा केंद्र स्तर पर उपलब्ध नहीं
मंत्री ने दोहराया कि देश में दायर मेडिकल लापरवाही के मामलों का डेटा केंद्र स्तर पर नहीं रखा जाता। हाल ही में NMC में पारदर्शिता की कमी और डॉक्टरों के पक्ष में पक्षपात के आरोपों पर भी उन्होंने संसद में कहा था कि स्वास्थ्य मंत्रालय को ऐसी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ है।
नैतिक आचरण पर निगरानी
मंत्री ने बताया कि NMC का एथिक्स बोर्ड डॉक्टरों के पेशेवर आचरण को नियंत्रित करता है और चिकित्सा नैतिकता को बढ़ावा देता है। डॉक्टरों के पेशेवर कदाचार से संबंधित शिकायतों की जांच भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के क्लॉज़ 8.2 के तहत की जाती है।
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