Delhi HC on Zydus: कैंसर की इम्यूनोथेरेपी दवा निवारलुमैब (Nivolumab) के संभावित बायोसिमिलर के खिलाफ एक बड़ी कानूनी जीत में, ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब (BMS) और उसके सहयोगियों को दिल्ली हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है।
अदालत ने Zydus लाइफसाइंसेज को आदेश दिया है कि वह 2 मई 2026 तक अपनी प्रस्तावित बायोसिमिलर दवा ZRC-3276 को लॉन्च न करे। यह वही तारीख है जब मूल पेटेंट IN 340060 की वैधता समाप्त हो रही है।
क्या है मामला?
BMS, E.R. Squibb & Sons LLC और Ono Pharmaceutical Co. Ltd. ने Zydus के खिलाफ पेटेंट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था। उनका दावा है कि ज़ायडस द्वारा विकसित की जा रही बायोसिमिलर दवा उनके वैध पेटेंट का उल्लंघन करती है। पेटेंट IN 340060, जिसका शीर्षक है “Human Monoclonal Antibodies to PD-1 for use in treating Cancer”, को 1 जुलाई 2020 को जारी किया गया था और यह 2 मई 2026 तक वैध है।
निवारलुमैब, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Opdivo और भारत में Opdyta के नाम से जाना जाता है, एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जिसका उपयोग कई प्रकार के कैंसर – जैसे फेफड़े, किडनी, सिर-गर्दन और स्किन कैंसर (मेलानोमा) – के इलाज में किया जाता है।
Zydus की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
Zydus ने दावा किया कि उन्होंने सिर्फ क्लीनिकल ट्रायल के लिए आवेदन किया है और Patents Act की धारा 107A के तहत “Bolar Exemption” का लाभ उठाते हुए कोई व्यावसायिक उल्लंघन नहीं किया। लेकिन अप्रैल 2024 में BMS को यह पता चला कि ज़ायडस उत्पाद के व्यावसायिक लॉन्च की तैयारी कर रहा है। इसके बाद अदालत से तत्काल रोक लगाने की अपील की गई।
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कोर्ट का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पेटेंट में दिए गए विशिष्ट एंटीबॉडी अनुक्रम (amino acid sequences) का उल्लंघन स्पष्ट रूप से सामने आया है। Zydus का उत्पाद “PD-1” से हटकर अन्य प्रोटीन से भी जुड़ता है, यह तर्क कोर्ट को अपर्याप्त लगा और ज़ायडस द्वारा उद्धृत prior art (पुराने वैज्ञानिक दस्तावेज) इस दवा के विशिष्ट नवाचार को साबित करने में विफल रहे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ज़ायडस का यह कहना कि पेटेंट पूर्व में WO 2004/004771 में घोषित हो चुका था, निराधार है। अदालती आदेश में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया कि प्रतिवादी यह साबित नहीं कर सके कि वादी द्वारा दावा किए गए अविष्कार की कोई भी विशेषता उनके द्वारा उद्धृत किसी दस्तावेज़ में मौजूद है।
अंतरिम आदेश में क्या कहा गया?
- ज़ायडस और उससे जुड़े सभी पक्षों को निवारलुमैब या उससे मिलती-जुलती किसी भी बायोलॉजिकल दवा का निर्माण, बिक्री, प्रचार-प्रसार, आयात-निर्यात आदि करने से रोक दिया गया है।
- यह रोक 2 मई 2026 तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि पेटेंट की वैधता समाप्त नहीं हो जाती।
- अदालत ने ज़ायडस को आदेश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर यह हलफनामा दायर करे कि उसने अब तक कितनी मात्रा में बायोसिमिलर का निर्माण किया है।
BMS को मिली बड़ी राहत
कोर्ट ने माना कि वादी पक्ष ने prima facie (प्रथम दृष्टया) उल्लंघन का मजबूत मामला बनाया है और यदि अंतरिम रोक नहीं दी जाती, तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी। संतुलन भी वादी पक्ष के पक्ष में झुका हुआ पाया गया।
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